भारत में नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) क्षमता के विस्तार की रफ्तार लगातार तेज हो रही है. गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के शुरुआती पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देश में कुल 27 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी गई. एचएसबीसी की रिपोर्ट में बताया गया कि इसमें से 20 गीगावाट क्षमता केवल अगस्त तक ही स्थापित की जा चुकी थी.
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान में 142 गीगावाट क्षमता निर्माण के विभिन्न चरणों में है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य-स्तरीय ट्रांसमिशन लाइनों की कमीशनिंग में हो रही प्रगति से आने वाले समय में रिन्यूएबल प्रोजेक्ट्स के कार्यान्वयन की गति और बढ़ने की उम्मीद है.
इनोवेटिव टेंडर से ऊर्जा भंडारण की लागत हो रही कम
हाल के मर्जर और अधिग्रहण और रिन्यूएबल डेवलपर्स की संभावित लिस्टिंग से कमीशनिंग को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए अधिक पूंजी उपलब्ध होगी. रिपोर्ट में कहा गया है, इनोवेटिव टेंडर से ऊर्जा भंडारण की लागत कम हो रही है, जिससे रिन्यूएबल पावर की स्वीकार्यता बढ़ेगी. रिपोर्ट के अनुसार, सोलर प्लस एनर्जी स्टोरेज सिस्टम की लागत अब रिकॉर्ड स्तर पर कम हो गई है. हाल ही में सोलर प्लस स्टोरेज टेंडर में टैरिफ 2.7-2.76 रुपए/किलावाट प्रति घंटा कम था.
टैरिफ से लाभप्रदता पर बनी हुई चिंता
शर्तों के अनुसार, डेवलपर्स को सौर ऊर्जा के समय के अलावा, पीक समय में दो घंटे और सुबह के पीक समय में दो घंटे के लिए बिजली और भंडारण उपलब्ध कराना होगा. हालांकि, टैरिफ से लाभप्रदता पर चिंता बनी हुई है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर पर बचत, भूमि अधिग्रहण का कम जोखिम और सुबह के पीक समय में मुफ्त बिजली से डेवलपर्स को सामान्य रिटर्न मिल सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पिछले दो वर्षों में 90 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) की नीलामी की है, लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा अभी तक बिजली खरीद समझौते के तहत हस्ताक्षरित नहीं हुआ है.
भारत ने 11.4 गीगावाट क्षमता के रिन्यूएबल टेंडर कर दिए रद्द
इससे डेवलपर्स और निवेशकों के बीच इन लेटर ऑफ अवॉर्ड्स की वास्तविक उपयोगिता को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. इसके अतिरिक्त, भारत ने 11.4 गीगावाट क्षमता के रिन्यूएबल टेंडर रद्द कर दिए हैं, जिनमें या तो भागीदारी कम रही या निविदाएं अपेक्षाकृत अधिक टैरिफ पर प्राप्त हुईं. इससे संकेत मिलता है कि कुछ पुराने टेंडर भी रद्द किए जा सकते हैं. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि देश में बिजली की कुल मांग आगामी महीनों में बढ़ने की संभावना है.
सितंबर 2024 की तुलना में इस महीने की बिजली खपत पहले ही अधिक है. मौसम विभाग द्वारा ठंड अधिक पड़ने की संभावना, साथ ही औद्योगिक गतिविधियों में अपेक्षित तेजी को देखते हुए, अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में बिजली की मांग में और वृद्धि की उम्मीद जताई गई है.
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