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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारतीय कॉरपोरेट्स (Indian Corporates) का पूंजीगत खर्च अगले पांच सालों में दोगुना होकर 800 अरब डॉलर से 850 अरब डॉलर के बीच रहने का अनुमान है. ऑपरेटिंग कैश फ्लो और घरेलू फाइनेंसिंग के विकल्पों द्वारा इस खर्च के अधिकतर हिस्से को फंड किया जाएगा. यह जानकारी S&P Global Ratings द्वारा मंगलवार को जारी की गई रिपोर्ट में दी गई. रिपोर्ट में कहा गया कि एग्जीक्यूशन संबंधी गलतियों या नकारात्मक मैक्रो परिवर्तनों को छोड़कर, इन निवेशों से लीवरेज को बढ़ाए बिना व्यवसाय के स्केल को बढ़ावा मिलना चाहिए.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, कॉरपोरेट इंडिया अवसरों का पीछा कर रहा है. हमारे विचार में भारतीय कंपनियां विकास के लिए अच्छी स्थिति में हैं. कंपनियां अनुकूल सरकारी नीतियों और सकारात्मक आर्थिक दृष्टिकोण के आधार पर मांग को पूरा करने के लिए निवेश कर रही हैं. रिपोर्ट में बताया गया कि कंपनियों की योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से उनका परिचालन स्तर बढ़ेगा, जिससे स्थायी लागत लाभ और व्यावसायिक दक्षता प्राप्त होगी.
रिपोर्ट के अनुसार, पावर विशेषकर रिन्यूएबल एनर्जी में अधिक निवेश होगा. ट्रांसमिशन के साथ पावर, एयरलाइन और उभरते हुए क्षेत्र जैसे ग्रीन हाईड्रोजन अगले पांच वर्षों में पूंजीगत व्यय में करीब तीन-चौथाई वृद्धि के लिए जिम्मेदार होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सेक्टरों की आय और ऑपरेटिंग कैश फ्लो 5 वर्ष पहले के स्तर से करीब 60% अधिक या दोगुना हो गया है और आगे इसमें और वृद्धि होगी. एयरलाइन सेक्टर में नए विमानों में करीब 100 अरब डॉलर का निवेश होने की संभावना है.
ग्रीन हाइड्रोजन, सेमीकंडक्टर और बैटरी प्लांट जैसे नए क्षेत्रों में महत्वपूर्ण डेट फंडिंग देखने को मिलेगी. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि ये परियोजनाएं मुख्य रूप से बड़ी कंपनियों द्वारा शुरू की जाती हैं, जिनमें बड़े समूह भी शामिल हैं. भारत की जीडीपी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए देश की विकास दर 6.5% रहने का अनुमान है.