भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने बुधवार को कहा कि टैरिफ (Tariff) को लेकर वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) स्ट्रॉन्ग मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल के बल पर काफी हद तक मजबूत बनी हुई है. आरबीआई बुलेटिन (RBI Bulletin) के स्टेट ऑफ द इकोनॉमी रिपोर्ट के मुताबिक, मुद्रास्फीति में कमी, खरीफ सीज़न की बेहतर संभावनाओं, सरकारी व्यय में तेज, लक्षित राजकोषीय उपायों और ब्याज दरों में कटौती के तेज प्रसारण के लिए अनुकूल वित्तीय परिस्थितियों से आगे चलकर अर्थव्यवस्था में समग्र मांग को बढ़ावा मिलेगा.
केंद्रीय बैंक के दस्तावेज में दिया गया जोर
केंद्रीय बैंक के दस्तावेज में जोर दिया गया है, बढ़ती व्यापार अनिश्चितताओं और भू-आर्थिक विखंडन के बीच, अधिक मजबूत व्यापार साझेदारियां बनाना भारत के लिए ग्लोबल वैल्यू चेन के साथ अपने इंटीग्रेशन को गहरा करने का एक रणनीतिक अवसर प्रस्तुत करता है. इसके अलावा, इंफ्रास्ट्रक्चर में घरेलू निवेश में तेजी लाने के उपाय और प्रतिस्पर्धात्मकता और उत्पादकता में सुधार के उद्देश्य से संरचनात्मक सुधार, विकास की गति को सहारा देते हुए मजबूती बढ़ाएंगे.
भारत की अर्थव्यवस्था 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
इससे पहले, मॉर्गन स्टेनली (Morgan Stanley) की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत की अर्थव्यवस्था 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी और 2035 तक इसका आकार दोगुना से भी ज्यादा होकर 10.6 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा. एशियाई विकास बैंक (ADB) ने कहा कि मजबूत घरेलू मांग, सामान्य मानसून और देश में मौद्रिक नरमी के बीच, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2025 में 6.5% और 2026 में 6.7% रहने का अनुमान है। देश में इस वर्ष 3.8% और 2026 में 4.0% मुद्रास्फीति रहने की संभावना है, जो आरबीआई के अनुमानों के भीतर है.
वित्तीय बाजारों ने व्यापार नीति की अनिश्चितताओं को गंभीरता से लिया
आरबीआई बुलेटिन के मुताबिक, 1 अगस्त, 2025 से नई आयात शुल्क दरें लागू होने से पहले व्यापार सौदों को अंतिम रूप देने के लिए गहन बातचीत चल रही है, इसलिए ध्यान फिर से अमेरिकी व्यापार नीतियों और वैश्विक स्तर पर उनके प्रभावों पर केंद्रित है. रिजर्व बैंक ने कहा, हालांकि, वित्तीय बाजारों ने व्यापार नीति की अनिश्चितताओं को गंभीरता से लिया है, जो संभवतः वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए कम व्यवधानकारी व्यापार समझौतों पर पहुंचने की आशा को दर्शाता है. इसके बावजूद, वित्तीय बाजारों द्वारा व्यापक आर्थिक जोखिम का कम मूल्यांकन एक चिंता का विषय बना हुआ है. आरबीआई ने कहा, वैश्विक व्यापार प्रवाह और आपूर्ति श्रृंखलाओं का विकसित होता स्वरूप अभी तक स्थिर नहीं हुआ है. ये अनिश्चितताएं वैश्विक आर्थिक संभावनाओं के लिए काफी बाधाएं खड़ी कर रही हैं.