भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 के मुताबिक, भारत की घरेलू वित्तीय बचत 2023-24 में सकल राष्ट्रीय व्यय योग्य आय (GNDI) का 5.1 प्रतिशत रही, जो पिछले वर्ष के 4.9 प्रतिशत से बेहतर है. यह सुधार अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन और मुद्रास्फीति के नियंत्रण में रहने के संकेत के बीच आया है. 2023-24 में सकल घरेलू बचत GNDI का 30.3 प्रतिशत रही, जो पिछले वर्षों की तुलना में स्थिर रही. इसका मुख्य कारण सरकार द्वारा घाटे में कटौती और घरेलू व निजी कंपनियों की ओर से निवेश मांग में थोड़ी सुस्ती रही.
2024-25 में 6.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है बचत
एसबीआई के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइज़र सौम्यकांति घोष (Soumyakanti Ghosh) के अनुसार, 2024-25 में घरेलू वित्तीय बचत ₹22 लाख करोड़ तक पहुंच सकती है, जो GNDI का 6.5 प्रतिशत हो सकती है. आरबीआई ने भरोसा जताया कि अगले 12 महीनों में खुदरा महंगाई 4 प्रतिशत के लक्ष्य के करीब बनी रहेगी. इससे मौद्रिक नीति में लचीलापन बना रहेगा और विकास को समर्थन मिलेगा. रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2025-26 में भी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी रहेगी, जिसमें निजी खपत में वृद्धि, मजबूत बैंकिंग सेक्टर, आसान वित्तीय स्थितियां और सरकार के पूंजीगत निवेश का योगदान रहेगा.
बाहरी क्षेत्र: CAD नियंत्रण में, विदेशी निवेश में तेजी की उम्मीद
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सेवाओं के व्यापार और प्रवासी भारतीयों के रेमिटेंस से चालू खाता घाटा (CAD) संतुलन में रहने की उम्मीद.
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सरकार द्वारा बीमा क्षेत्र में FDI सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करना, और भारतीय सरकारी बांड का वैश्विक सूचकांकों में शामिल होना, विदेशी निवेश को बढ़ावा देगा.