भारत के आईटी सर्विस सेक्टर की स्थिर वृद्धि अगले कुछ वर्षों में हाल की तीन साल की ट्रेंडलाइन से ऊपर, 4 से 5% के दायरे में रहने की संभावना है. यह जानकारी शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई है. एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, विश्लेषकों का मानना है कि आगामी महीनों में मैक्रोइकॉनॉमिक अस्थिरता कुछ कम हो सकती है और FY26-27 में इस क्षेत्र की वृद्धि बेहतर हो सकती है. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्तमान वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सेक्टर में कोई खास सुधार नहीं दिखेगा.
FY27 तक नहीं दिखाएंगे सुधार
रिपोर्ट में कहा गया, हमारे विचार से ये कारक FY27 तक सुधार नहीं दिखाएंगे, क्योंकि वैश्विक दबाव से मूल्य दबाव में कमी आएगी. साथ ही कई आईटी शेयरों को बाय रेटिंग दी गई है. दूसरी तिमाही में वृद्धि पहले तिमाही के समान रहने की उम्मीद है, जो मुख्य रूप से वेंडर कंसोलिडेशन और लागत में कटौती के सौदों की वजह से होगी, जिसे एचएसबीसी ने जीरो-सम गेम का नाम दिया है. रिसर्च फर्म ने कहा, सेक्टर का सस्टेनेबल ग्रोथ रेट 4-5% से अधिक नहीं होगी, हालांकि पिछले तीन वर्षों में वृद्धि इस ट्रेंड दर से भी कम रही है.
एआई डिफ्लेशन और अनिश्चित मैक्रो वातावरण से हुआ प्रभावित
जबकि FY24 और FY25 जीसीसी को शेयर में नुकसान से प्रभावित हुए, वहीं, वित्त वर्ष 26 एआई डिफ्लेशन और अनिश्चित मैक्रो वातावरण से प्रभावित हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया कि हाल के अमेरिकी कॉर्पोरेट परिणाम भले ही अच्छे हों, लेकिन कंपनियां अभी भी नए खर्चों पर रोक लगा रही हैं. फर्म के अनुमान के अनुसार, त्रैमासिक अनुमानों से पता चलता है कि बड़ी आईटी फर्मों द्वारा डॉलर में 0-2% की क्रमबद्ध वृद्धि की उम्मीद है.
एक्टिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट की होगी आवश्यकता
रिपोर्ट के अनुसार, मिड-टियर आईटी कंपनियों में आगामी समय में 1% की गिरावट से लेकर 5.5% तक की वृद्धि देखी जा सकती है. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अब लार्ज कैप आईटी स्टॉक्स को लंबे समय के लिए ‘बाय-एंड-होल्ड’ रणनीति के तहत देखने का समय समाप्त हो चुका है. इन स्टॉक्स की साइकलिक प्रकृति और बढ़ती अस्थिरता को देखते हुए अब इनके लिए एक्टिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट की आवश्यकता होगी.
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