दुनिया भर में बोल रही भारतीय दवाओं की तूती, तेजी से बढ़ रही Pharma Industry

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारत के फार्मा इंडस्ट्री में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. अप्रैल 2025 में इस सेक्टर की कमाई में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. ये आंकड़ा इस बात का सबूत है कि भारत में दवाएं अब ज्यादा सस्ती,आसानी से मिल जाने वाली और असरदार हो गई हैं. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक देश बन चुका है.जिस दवा के लिए पहले हजारों खर्च करने पड़ते थे वहीं दवा अब जनऔषधि केंद्रों पर 80 प्रतिशत सस्ती मिल रही है. दिल की बीमारी की दवा जो पहले 500 रुपए की थी, अब सिर्फ 100 रुपए में मिल रही है.
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (Prime Minister’s Indian Janaushadhi Project) देशभर में 15,479 जनऔषधि केंद्र खोलकर लोगों को जेनेरिक दवाएं बेहद कम दामों में मिल रही हैं. अब भारत में ही कैंसर, डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों की आधुनिक दवाएं बनाई जा रही हैं. दवाओं का कच्चा माल भी भारत में 6,940 करोड़ की योजना से पेनिसिलिन G जैसे रॉ मटेरियल तैयार किए जा रहे हैं जिससे दवाएं और सस्ती बनेंगी. यही नहीं मेडिकल डिवाइस भी अब मेड इन इंडिया, एमआरआई मशीन से लेकर हार्ट इम्प्लांट तक अब देश में बनने लगे हैं. जिनमें गुजरात, हिमाचल और आंध्र में बड़े-बड़े दवा निर्माण हब तैयार हो रहे हैं.
दुनिया की 60 प्रतिशत से ज्यादा UNICEF की वैक्सीन भारत से जाती है. WHO की डिप्थीरिया, टिटनस और खसरे की वैक्सीन का बड़ा हिस्सा भारत बनाता है. इससे न सिर्फ विदेशों में लाखों जानें बच रही हैं बल्कि देश में रोजगार भी बढ़ रहा है. चाहे वो साइंटिस्ट हों,टेक्नीशियन हों या फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर.
भारत में फार्मा सेक्टर में वर्ष 2023-24 में 12,822 करोड़ का विदेशी निवेश आया. सरकार ने ग्रीनफील्ड फार्मा और मेडिकल डिवाइस प्रोजेक्ट्स में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश को मंजूरी दी है.इसका मतलब है अब दुनिया भर की कंपनियां भारत में आकर दवाएं बनाएंगी जिससे देश को तकनीक भी मिलेगी और रोजगार भी.

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