दूसरी तिमाही के जीडीपी डेटा, भारत-अमेरिका ट्रेड डील में हाल की प्रगति और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की गतिविधियां अगले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार के रुझान को प्रभावित करेंगी. एनालिस्ट के अनुसार, निवेशक विशेष रूप से IIP डेटा, वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के GDP आंकड़े और भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर ध्यान केंद्रित करेंगे. रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के अजीत मिश्रा ने कहा, मैक्रो सिग्नल मिश्रित होने और वैश्विक संकेत की ओर से सीमित स्पष्टता के कारण निवेशकों को एक संतुलित दृष्टिकोण रखने की सलाह दी जाती है.
निवेशक बैंकिंग, ऑटो, आईटी और उपभोग वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दे सकते हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों में सिलेक्टिव एप्रोच बनाए रख सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि ट्रेडर्स को एक्सपायरी और प्रमुख मैक्रो डेटा के रिलीज के आसपास सावधानी बरतनी चाहिए, केवल सपोर्ट स्तरों के पास बाय-ऑन-डिप्स रणनीति का उपयोग करना चाहिए. चॉइस ब्रोकिंग की अमृता शिंदे के अनुसार, सूचकांक अपने प्रमुख मूविंग औसत 20-दिवसीय, 50-दिवसीय और 200-दिवसीय ईएमए से ऊपर कारोबार करना जारी रखता है, तो यह एक बड़ी तेजी का संकेत है.
जब तक यह स्तर कायम रहता है, बाजार का सेंटीमेंट मजबूत बना रहने की उम्मीद है. भारतीय शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली है. पिछले हफ्ते सेंसेक्स और निफ्टी क्रमश: 0.50 प्रतिशत और 0.68 प्रतिशत की बढ़त के साथ 26,068 और 85,231 अंक पर बंद हुए. इस तेजी का मुख्य कारण कंपनियों के अच्छे तिमाही नतीजे और अमेरिका-भारत ट्रेड डील में सकारात्मक प्रगति रही. इसके अलावा, निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स क्रमश: 0.76 प्रतिशत और 2.2 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुए.
हालांकि, अमेरिकी टेक शेयरों में बिकवाली के कारण भारत के आईटी शेयरों पर दबाव देखा गया. एनालिस्ट ने कहा, अगर रुपए पर दबाव बना रहता है तो बाजार में छोटी अवधि में मुनाफावसूली देखने को मिल सकती है. आने वाले समय में जीडीपी के आंकड़े और आईआईपी डेटा बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे.