भारत के कमर्शियल रियल एस्टेट मार्केट में 2025 की तीसरी तिमाही में भारी उछाल दर्ज: Report

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में भारत के कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर में उल्लेखनीय तेजी देखी गई है, जहां ऑफिस लीजिंग लगातार छठी तिमाही में सप्लाई से अधिक रही. शुक्रवार को जारी नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में नेट लीजिंग सालाना आधार पर 31% बढ़कर 15.9 मिलियन वर्ग फुट पहुंच गई. वहीं, निर्माण कार्य की पूर्णता दर में भी 44% की वृद्धि दर्ज की गई, जो बढ़कर 13.6 मिलियन वर्ग फुट रही.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके परिणामस्वरूप रिक्ति दर घटकर 14.2% पर आ गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 240 आधार अंक और पिछली तिमाही की तुलना में 60 आधार अंक कम है. नुवामा ने वर्ष 2025-26 में सालाना 50-54 मिलियन वर्ग फुट निर्माण कार्य पूरा होने का अनुमान लगाया है, हालांकि कुछ प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यम अवधि में रिक्तियों के स्तर में मामूली गिरावट आने की संभावना है.
जबकि, वार्षिक किराये में वृद्धि में तेजी आने की उम्मीद है. ग्रॉस लीजिंग क्रमिक रूप से 5 प्रतिशत बढ़कर 22.3 मिलियन वर्ग फुट हो गई, जो लगातार आठवीं तिमाही है, जिसमें अब्सॉर्प्शन 20 मिलियन वर्ग फुट या उससे अधिक रहा. सभी प्रमुख शहरों में किराए में वृद्धि हुई, जो डेवलपर्स और मकान मालिकों की बढ़ती मूल्य निर्धारण शक्ति को दर्शाता है. बेंगलुरु में रिक्तियों का स्तर सबसे कम 9.2 प्रतिशत रहा, जबकि हैदराबाद में 22 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक रहा.
मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में रिक्तियों की दर में 10.6% की कमी दर्ज की गई, जो 2015 के बाद से सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में रिक्तियों की दर 20.2% रही, जो 2012 के बाद से सबसे कम है. रिपोर्ट के अनुसार, टेक्नोलॉजी सेक्टर लीजिंग एक्टिविटी में प्रमुख रहा और कुल लीजिंग का 31% हिस्सा अपने नाम किया. इसके बाद वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) का स्थान रहा, जिन्होंने तिमाही के दौरान कुल ग्रॉस लीजिंग में 38% का योगदान दिया. जीसीसी गतिविधियों में बेंगलुरु सबसे आगे रहा, जहां लगभग 38% लेनदेन दर्ज किए गए.
हालांकि घरेलू ऑक्यूपायर्स की हिस्सेदारी दूसरी तिमाही के 52% से थोड़ी कम होकर तीसरी तिमाही में 46% रह गई, लेकिन बहुराष्ट्रीय और वैश्विक क्षमता केंद्रों से मांग मजबूत बनी रही. ब्रोकरेज का कहना है कि आर्थिक रूप से मजबूत डेवलपर्स अपनी मार्केट पॉजिशन को कंसोलिडेट कर रहे हैं, क्योंकि कमजोर प्लेयर्स अपनी हिस्सेदारी खो रहे हैं. नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि बड़े रेंटल पोर्टफोलियो वाले डेवलपर्स इस मजबूत ऑफिस स्पेस मांग का लाभ उठाने की सबसे अच्छी स्थिति में हैं.
Latest News

पंजाब के पूर्व DGP के बेटे की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, इस वजह से गई जान, परिवार ने किया खुलासा?

Haryana: पंजाब के पूर्व DGP मोहम्मद मुस्तफा के बेटे अकील अख्तर (35) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई...

More Articles Like This

Exit mobile version