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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से सितंबर 2025 तक की अवधि में भारत की अर्थव्यवस्था ने स्थिर और मजबूत प्रदर्शन किया। इस दौरान उपभोग, निवेश और सरकारी खर्च में इज़ाफ़ा देखा गया, जो आर्थिक विकास के प्रमुख आधार रहे. रिपोर्ट में बताया गया कि समीक्षा अवधि के दौरान खाद्य वस्तुओं की कीमतें नियंत्रित दायरे में बनी रहीं.
इसके अलावा, जीएसटी सुधारों के प्रभाव, संतुलित बाहरी क्षेत्र और स्थिर तरलता स्थिति ने समग्र मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता को बनाए रखने में योगदान दिया. सरकार की ओर से यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अगस्त की मौद्रिक नीति को 5.5% पर स्थिर रखा गया है. केंद्रीय बैंक वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि अनुमान को संशोधित करके 6.8% कर दिया है, जो कि पहले 6.5% था.
आधिकारिक बयान में कहा गया, मजबूत उपभोग, निवेश और सरकारी खर्च के कारण घरेलू अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है और अच्छे मानसून, जीएसटी 2.0, बेहतर क्रेडिट फ्लो और बढ़ती क्षमता उपयोग जैसे सहायक कारक सकारात्मक दृष्टिकोण को बनाए रख रहे हैं. वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी (Real GDP) 7.8% की दर से बढ़ी, जो इससे पिछली तिमाही में 7.4% थी.
यह बीते सात तिमाहियों की सबसे तेज़ वृद्धि दर मानी जा रही है. इस आर्थिक मजबूती का प्रमुख कारण उपभोग (consumption) और निवेश (investment) में निरंतर वृद्धि रहा. वैश्विक स्तर पर जारी अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की विकास दर स्थिर बनी हुई है, जिसे कई अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने भी मान्यता दी है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2025-26 में 6.4% की दर से आगे बढ़ने की संभावना है.
फिच ने विकास दर FY26 में 6.9% और FY27 में 6.3% पर रहने का अनुमान जारी किया है. एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार, भारत की जीडीपी वृद्धि दर FY26 में 6.5% और ओईसीडी ने चालू वित्त वर्ष में विकास दर 6.7% रहने का अनुमान लगाया है.