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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
भारतीय अर्थव्यवस्था FY24-25 की चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है. यह अनुमान बार्कलेज ने लगाया है, जिसकी वजह नेट इनडायरेक्ट टैक्स में तेज़ बढ़ोतरी और कृषि क्षेत्र में हुए सुधार को बताया गया है. बार्कलेज के मुताबिक, जनवरी से मार्च तिमाही में नेट इनडायरेक्ट टैक्स (Net Indirect Tax) में सालाना आधार पर 30 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है. वहीं, कृषि क्षेत्र में भी सुधार देखा गया है और इस दौरान सकल मूल्य वर्धन 5.8 प्रतिशत तक पहुंच सकता है, जो पिछली तिमाही में 5.6 प्रतिशत था.
हालांकि औद्योगिक क्षेत्र में सुस्ती के कारण जीडीपी में 9 बेसिस पॉइंट की गिरावट आ सकती है. इससे पहले तीसरी तिमाही में GDP की ग्रोथ दर 6.2 प्रतिशत रही थी. बार्कलेज की भारत प्रमुख अर्थशास्त्री, आस्था गुढवाणी ने कहा, “मौद्रिक नीति में ढील फरवरी से शुरू हुई है, लेकिन इसका असर अभी धीरे-धीरे दिख रहा है. तरलता की स्थिति बेहतर है, ऐसे में पूंजी की लागत में गिरावट से आगे चलकर औद्योगिक क्षेत्र को मजबूती मिल सकती है.”
Q4 और FY25 के लिए GDP के आधिकारिक आंकड़े 30 मई को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किए जाएंगे. दूसरी ओर, नोमुरा ने Q4 में भारत की GDP ग्रोथ 6.7% रहने का अनुमान लगाया है. नोमुरा ने इसके पीछे निजी उपभोग, पूंजी निवेश और निर्यात में आई कमी का हवाला दिया है. हालांकि, आयात में तेज गिरावट की वजह से नेट एक्सपोर्ट्स GDP में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं.
अप्रैल में अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे फिलहाल 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है. यह स्थगन 9 जुलाई तक लागू रहेगा. हालांकि, 10 प्रतिशत का बेसलाइन टैरिफ अब भी लागू है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गुढवाणी ने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दी गई 90 दिनों की टैरिफ राहत निर्यात-आधारित सेक्टर्स के लिए थोड़ी स्थिरता ला सकती है.”
NSO 30 मई को पूरे वित्त वर्ष 2024-25 के अस्थायी GDP आंकड़े भी जारी करेगा. FY25 के लिए बार्कलेज ने GDP ग्रोथ 6.4% और नोमुरा ने 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है, जो सरकार के 6.5% और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 6.6% के अनुमान से कम है. वहीं, मॉर्गन स्टैनली का मानना है कि घरेलू मांग अगले वित्त वर्ष (FY26) में अर्थव्यवस्था को सहारा देगी, भले ही बाहरी कारकों से कुछ अनिश्चितता बनी रहे. उन्होंने FY26 में 6.2% ग्रोथ का अनुमान जताया है.
मॉर्गन स्टैनली ने कहा, “घरेलू मांग में उपभोग तेजी से बढ़ेगा. शहरी क्षेत्रों में मांग बेहतर होगी जबकि ग्रामीण खपत पहले से ही मजबूत स्थिति में है.” जहां बार्कलेज ने FY26 के लिए 6.5% की ग्रोथ का अनुमान दिया है, वहीं नोमुरा थोड़ी सतर्कता दिखाते हुए इसे केवल 5.8 प्रतिशत बताया है. नोमुरा का मानना है कि शहरी खपत में सुस्ती, कर्ज वितरण की धीमी रफ्तार और वैश्विक स्तर पर टैरिफ के कारण आर्थिक मंदी का असर दिख सकता है.
FY25 में औसत महंगाई दर 4.6 प्रतिशत रही, जो अर्थव्यवस्था को समर्थन देने में मददगार रही. मॉर्गन स्टैनली ने खाद्य कीमतों में गिरावट के चलते आगामी महीनों में मुद्रास्फीति में राहत की उम्मीद जताई है, जिससे RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना है. मॉर्गन स्टैनली और नोमुरा दोनों ही इस साल कुल 100 बेसिस पॉइंट की ब्याज दर कटौती की उम्मीद कर रहे हैं. फरवरी और अप्रैल में RBI की मौद्रिक नीति समिति ने पॉलिसी रेट में 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी, जिससे यह दर अब 6 प्रतिशत पर आ गई है.