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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
मजबूत घरेलू मांग और निवेशकों के सकारात्मक रुख के चलते भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर FY26 की दूसरी तिमाही में तेजी से वृद्धि दर्ज कर रहा है. यह जानकारी इंडस्ट्री बॉडी फिक्की (FICCI) द्वारा जारी एक नवीनतम सर्वेक्षण में सामने आई है. सर्वेक्षण के अनुसार, जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान 87% विनिर्माण इकाइयों ने उच्च या स्थिर उत्पादन स्तर दर्ज किए हैं. वहीं, 83% कंपनियों का कहना है कि जीएसटी में कटौती से आने वाले महीनों में मांग में और इजाफा देखने को मिल सकता है.
फिक्की के सर्वेक्षण में यह भी बताया गया कि सेक्टर इस समय अपनी कुल क्षमता के करीब 75% पर कार्य कर रहा है, जो उत्पादन की स्थिरता और मांग की मजबूती को दर्शाता है. सर्वेक्षण में भाग लेने वाली 50% से अधिक कंपनियों ने बताया कि वे अगले छह महीनों में नए प्रोजेक्ट्स या नई क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं. हालांकि, मैन्युफैक्चरर्स को अभी भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है,
जिनमें उच्च इनपुट लागत, अस्थिर भूराजनीति, व्यापार बाधाएं और कुछ बाजारों में कुशल श्रमिकों की कमी शामिल है. 50% से अधिक व्यवसायों ने पिछले वर्ष की तुलना में उत्पादन लागत में वृद्धि दर्ज की, जिसके मुख्य कारण मेटल, बल्क केमिकल, एनर्जी, लॉजिस्टिक्स और लेबर की बढ़ती कीमतें हैं. सर्वेक्षण में बताया गया है कि 81% कंपनियों ने कहा कि उनके पास कार्यशील पूंजी और दीर्घकालिक जरूरतों, दोनों के लिए बैंक लोन की पर्याप्त पहुंच है, ज
बकि मैन्युफैक्चरर्स के लिए एवरेज लोन रेट 8.9% है. सर्वेक्षण में बताया गया कि केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री निर्यात को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं. साथ ही आउटलुक भी सकारात्मक बना हुआ है। 57% मैन्युफैक्चरर्स की योजना आने वाली तिमाही में अधिक लोगों को नियुक्त करने की थी. यह सर्वेक्षण में कैपिटल गुड्स, ऑटोमोबाइल, केमिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीन टूल्स, मेटल, टेक्सटाइल और अन्य सेक्टर के मैन्युफैक्चरर्स शामिल हैं.