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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
National AI Ecosystem: केंद्र सरकार द्वारा नेशनल एआई इकोसिस्टम तैयार करने की पहल से अब वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में न सिर्फ बड़े बल्कि छोटे प्लेयर्स को भी एआई संसाधनों तक आसान पहुंच मिल सकेगी. इस संबंध में बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. बिजनेस कंसल्टेंसी फर्म ग्रांट थॉर्नटन भारत की रिपोर्ट के अनुसार, इस बदलाव का असर यह होगा कि कंपनियों को अपने सिस्टम को एआई प्लेटफॉर्म्स से सक्रिय रूप से जोड़ना पड़ेगा और इसके साथ ही उन्हें आवश्यक डेटा सेट्स और मॉडल्स भी उपलब्ध कराने होंगे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडियाएआई मिशन, एआई कोष, डीपीडीपी एक्ट और सीईआरटी-इन के साइबर सुरक्षा अधिदेश कंप्यूट, डेटासेट, डेटा प्रोटेक्शन और डिजिटल रेल के इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहे हैं, जिस पर अब वित्तीय संस्थान सवार हो सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय संस्थानों को चार संरचनात्मक चुनौतियों डेटा की गुणवत्ता, इंफ्रास्ट्रक्चर गैप्स, प्रतिभा की कमी और नियामक अस्पष्टता का सामना करना पड़ता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों और एनबीएफसी के लिए, एआई एक बोर्ड-स्तरीय शासन मुद्दा बन जाता है, जिसके लिए मॉडल जोखिम प्रबंधन और निष्पक्षता कार्यक्रमों की आवश्यकता होती है. उद्योग को मॉडल जोखिम प्रबंधन को संस्थागत बनाकर प्रतिक्रिया देनी चाहिए, जिसमें एआई सिस्टम की सूची बनाना, निष्पक्षता और व्याख्यात्मकता कार्यक्रम विकसित करना,और मौजूदा पर्यवेक्षी चैनलों में घटना रिपोर्टिंग को इंटीग्रेट करना शामिल है.
रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एआई कोष और इंडियाAI कंप्यूट प्लेटफॉर्म जैसी राष्ट्रीय पहलों का उद्देश्य छोटे संस्थानों की तकनीकी क्षमता की कमी को दूर करना है. वहीं, पूंजी बाजारों में एआई-आधारित निर्णय लेने को लेकर भरोसा पैदा करने के लिए पारदर्शिता को अहम बताया गया है. रिपोर्ट में बीमा कंपनियों और फिनटेक संस्थाओं से यह आग्रह किया गया है कि वे नियामकीय निगरानी में नवाचार को अपनाएं.
इसके साथ ही, आरबीआई की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, केवल 20% विनियमित संस्थाओं ने ही अब तक किसी न किसी रूप में एआई तकनीक को अपनाया है. इनमें भी अधिकांश ने केवल बेसिक नियम-आधारित नॉन-लर्निंग एआई मॉडल या मध्यम स्तर के मशीन लर्निंग मॉडल का ही प्रयोग किया है,
जबकि एडवांस्ड एआई मॉडल का उपयोग बेहद सीमित है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एआई अब महज़ एक प्रयोगात्मक उपकरण नहीं रह गया है, बल्कि यह एक नियामकीय ढांचा बन चुका है, जिसे निष्पक्षता, पारदर्शिता और सशक्त गवर्नेंस की आवश्यकता है.