भारत का पेंट और कोटिंग्स सेक्टर वर्ष 2030 तक तेज गति से विस्तार करने की राह पर है. मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस उद्योग के लगभग 9.4% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने का अनुमान है. वर्ष 2024 में इसका बाजार आकार 9.6 अरब डॉलर आंका गया था, जो आने वाले पांच वर्षों में बढ़कर करीब 16.5 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. रुबिक्स डेटा साइंसेज (रुबिक्स) की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इस उद्योग की बढ़त के कई कारण हैं.
देश में तेजी से शहरीकरण, लोगों की आय में बढ़ोतरी, नई इमारतों व सड़कों का निर्माण और घरों की संख्या बढ़ना इसकी मुख्य वजहें हैं. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट है और सरकार इसे आने वाले 5 वर्षों में टॉप पर पहुंचाना चाहती है, जिससे कारों और फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाले पेंट और कोटिंग्स की मांग बढ़ रही है.
भारत के पेंट उद्योग में तेजी
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी और ग्रामीण) जैसी योजनाओं के कारण भी पेंट उद्योग को फायदा मिल रहा है. इन योजनाओं के तहत लाखों आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे पेंट और कोटिंग्स की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि, तेज विकास के बावजूद वित्त वर्ष 2025 के दौरान पेंट उद्योग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
बड़ी पेंट कंपनियों के मुनाफे पर दबाव रहा, शहरी क्षेत्रों में मांग की रफ्तार कुछ धीमी पड़ी और उद्योग में तीव्र प्रतिस्पर्धा देखने को मिली. देश में तकरीबन 3,000 छोटे और असंगठित पेंट कंपनियां हैं, जिन्हें सरकारी नियमों का पालन, नई तकनीक में निवेश और मार्केटिंग में दिक्कतें आईं, जिससे उनका बाजार में टिके रहना मुश्किल हो गया. वहीं इस उद्योग में नई कंपनियों के आने से प्रतिस्पर्धा और बढ़ गई है.
भारत के पेंट उद्योग में निर्यात-आयात संतुलन और बढ़ती प्रतिस्पर्धा
बड़ी कंपनियां आपस में मिलकर (विलय करके) और मजबूत बन रही हैं, जिससे छोटे खिलाड़ियों पर दबाव बढ़ रहा है. भारत ज्यादातर पेंट विकासशील देशों को निर्यात करता है, लेकिन उन्नत और खास तरह के पेंट और कच्चा माल (जैसे टाइटेनियम डाइऑक्साइड) विकसित देशों से आयात करता है. वित्त वर्ष 2026 के पहले छह महीनों में भारत ने 219 मिलियन डॉलर का पेंट आयात किया, जबकि 61 मिलियन डॉलर का निर्यात किया गया.
देश के पेंट व्यापार में सॉल्वेंट आधारित पेंट का हिस्सा सबसे अधिक है, जो उद्योग और ऑटोमोबाइल सेक्टर में व्यापक रूप से उपयोग होता है. इसी कारण से निर्यात का 84 प्रतिशत और आयात का 75% सॉल्वेंट आधारित पेंट का हिस्सा है. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में उपभोक्ता पर्यावरण के अनुकूल, कम वीओसी वाले और उच्च गुणवत्ता वाले पेंट को प्राथमिकता देने लगे हैं. भविष्य में नई तकनीक, नैनोटेक्नोलॉजी और प्रीमियम क्वालिटी वाले पेंट इस उद्योग की दिशा और विकास की गति बदल सकते हैं.