भारत के निजी अस्पताल उद्योग का आकार 2025 में अनुमानित 122.3 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 202.5 अरब डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है. यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ब्रिकवर्क रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, देश को करीब 24 लाख अतिरिक्त अस्पताल बेड की आवश्यकता होगी, जिसके लिए लगभग 2 अरब वर्ग फुट अतिरिक्त स्थान की जरूरत पड़ेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती स्वास्थ्य सेवाओं की मांग, निजी क्षेत्र के निवेश, सरकारी पहलों और एआई एवं टेलीमेडिसिन जैसी उभरती तकनीकों को अपनाने से भारत का निजी अस्पताल सेक्टर आने वाले वर्षों में तेज़ी से विस्तार करेगा.
इस क्षेत्र ने 2025 की तीसरी तिमाही में 3.5 अरब डॉलर मूल्य के 72 सौदे दर्ज किए, जो कुल सौदों के मूल्य में तिमाही आधार पर 166% की वृद्धि दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया कि 2024 में, भारत के अस्पताल क्षेत्र में महत्वपूर्ण विलय और अधिग्रहण (एम एंड ए) हुए, जो निवेशकों की मजबूत रुचि और देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है. ब्रिकवर्क रेटिंग्स के रिसर्च हेड राजीव शरण ने कहा, मजबूत मांग, मजबूत वित्तीय प्रदर्शन, जोखिम प्रबंधन और प्रमुख अस्पताल समूह की ओर से मजबूत विस्तार रणनीतियों के कारण भारत में निजी अस्पताल उद्योग की क्रेडिट रेटिंग सकारात्मक रहने का अनुमान है.
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत का मेडिकल टूरिज्म बाजार, जिसका मूल्य 2025 में 8.7 बिलियन डॉलर था, 2030 तक लगभग दोगुना बढ़कर 16.2 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की संभावना है. यह वृद्धि मुख्य रूप से कम लागत में उच्च-गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाओं और सरल वीज़ा प्रक्रियाओं के कारण संभव होगी. मेडिकल टूरिज्म इंडेक्स में दसवें स्थान पर मौजूद भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 7.3 मिलियन विदेशी मरीजों को आकर्षित किया, जो देश में विशेष और उन्नत चिकित्सा उपचारों की बढ़ती मांग को दर्शाता है.
रिपोर्ट में कहा गया कि प्रमुख अस्पतालों ने एआरपीओबी (एवरेज रेवेन्यू पर ऑक्यूपाइड बेड) में वृद्धि दर्ज की है, जो अब लगभग 38,000 रुपए से बढ़कर 74,000 रुपए प्रति बेड प्रति दिन हो गया है. इसमें आगे कहा गया है कि विशेषज्ञता और भुगतानकर्ता मिश्रण में सुधार और उच्च-मूल्य वाली प्रक्रियाओं की बढ़ती मांग के कारण आने वाले वर्षों में एआरपीओबी में वृद्धि होने की उम्मीद है.