भारत का सेमीकंडक्टर बाजार तेजी से विस्तार की ओर बढ़ रहा है. 2025 तक यह बाजार 54.3 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर जाएगा और अगले पांच वर्षों में 103.5 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. यह जानकारी वर्कफोर्स सॉल्यूशन प्रदाता क्वेस कॉर्प द्वारा गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई. रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 13.8% की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) से बढ़ रहा है, जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक है. भारत की यह ग्रोथ मुख्य रूप से उन डिवाइसेज़ पर आधारित है, जिनका उपयोग लोग रोजमर्रा की जिंदगी में करते हैं—जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप और इंडस्ट्रियल सिस्टम। ये उत्पाद कुल बाजार का करीब 70% हिस्सा बनाते हैं.
EV, 5G और डेटा सेंटर बना रहे हैं सेमीकंडक्टर की डिमांड
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बढ़ती मांग, 5G नेटवर्क का विस्तार, और डेटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से निर्माण सेमीकंडक्टर की मांग को और अधिक बढ़ा रहे हैं. 2030 तक देश की हाइपरस्केल डेटा क्षमता में 75% से अधिक वृद्धि की संभावना है. साथ ही, नए वाहनों में से लगभग एक-तिहाई वाहन इलेक्ट्रिक होने की उम्मीद है, जिससे एडवांस्ड चिप्स की जरूरत और भी अधिक बढ़ेगी.
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन से तैयार हो रही है भविष्य की नींव
भारत सरकार द्वारा संचालित इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) घरेलू उत्पादन क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इस मिशन के तहत ₹1.6 लाख करोड़ से अधिक की परियोजनाएं शुरू की गई हैं और लगभग 29,000 नए रोजगार सृजित होने की संभावना है.
क्वेस कॉर्प के आईटी स्टाफिंग सीईओ कपिल जोशी ने कहा, भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग एक निर्णायक दशक में प्रवेश कर रहा है. भारत सरकार आईएसएम 2.0 के लिए मंज़ूरी देने में तेजी दिखा रही है, जिसके 10 अरब डॉलर से अधिक होने की संभावना है, हमारी रिपोर्ट अवसरों के पैमाने और प्रतिभा तत्परता के पहलू में चुनौतियों, दोनों पर प्रकाश डालती है.
रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले उपकरणों से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों और एडवांस डेटा केंद्रों तक, मांग हर जगह बढ़ रही है और भारत ग्लोबल सप्लाई चेन का एक अभिन्न अंग बनता जा रहा है. भारत के सेमीकंडक्टर वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) अब बैक-एंड सपोर्ट यूनिट नहीं रहीं। लगभग आधे नए चिप कार्यक्रमों में अब एआई एक्सेलरेटर शामिल हैं और एक-तिहाई वेरिफिकेशन टीम मशीन लर्निंग का उपयोग कर रही हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, इंजीनियर पहले से ही मल्टी-डाई इंटीग्रेशन, एआई-असिस्टेड प्लेस-एंड-रूट, टाइनीएमएल फर्मवेयर और एआई-ड्रिवन टाइमिंग क्लोजर जैसे नेक्स्ट जेन डोमेन पर काम कर रहे हैं। यह प्रगति भारत को एआई-फर्स्ट डिजाइन वर्कफ्लो का टेस्टिंग ग्राउंड बनाती है.
भारत में पहले से ही 2,50,000 से अधिक सेमीकंडक्टर पेशेवर हैं, जिनमें 2024-25 में 43,000 नई नियुक्तियां शामिल हैं. इस पूल के 2030 तक 120 प्रतिशत बढ़कर लगभग 4 लाख हो जाने का अनुमान है, जो भारत को अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर हब बनाएगा. रिपोर्ट के अनुसार, डिजाइन, एम्बेडेड सिस्टम, ईडीए टूल डेवलपमेंट और एटीएमपी मैन्युफैक्चरिंग तक वर्कफोर्स फैला हुआ है, जो दर्शाता है कि भारत समग्र वैल्यू चेन में क्षमता का निर्माण कर रहा है.