नई विकसित भारत रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन-ग्रामीण (वीबी-जी राम जी) योजना में केंद्र और राज्यों के बीच फंड का वितरण अब तय मानकों के आधार पर किया जाएगा. एसबीआई रिसर्च की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इससे पिछले 7 वर्षों के औसत आवंटन की तुलना में राज्यों को लगभग 17,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त लाभ मिलने की संभावना है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर, डॉ. सौम्य कांति घोष ने बताया कि यदि केवल केंद्र के हिस्से का आकलन सात निर्धारित मानकों के आधार पर किया जाए, तो अधिकांश राज्य इस नई व्यवस्था से लाभान्वित होंगे.
राज्यों को 17,000 करोड़ का अतिरिक्त लाभ
उन्होंने कहा कि इस अनुमान के तहत राज्यों को पिछले 7 वर्षों के औसत आवंटन से लगभग 17,000 करोड़ रुपए ज्यादा मिल सकते हैं. रिपोर्ट में एक काल्पनिक (हाइपोथेटिकल) स्थिति बनाई गई है, जिसमें फंड बांटने के लिए समानता और काम करने की क्षमता, दोनों को बराबर महत्व दिया गया है. इस व्यवस्था के दो मुख्य आधार बताए गए हैं. पहला आधार है समानता, जिसका मतलब है कि उन राज्यों को अधिक मदद दी जाए, जहां जरूरत अधिक है, ग्रामीण आबादी ज्यादा है और प्रशासनिक जिम्मेदारी बड़ी है, ताकि वहां रोजगार की मांग पूरी हो सके. दूसरा आधार है कामकाज की क्षमता, यानी उन राज्यों को प्रोत्साहित करना जो मिले हुए फंड से स्थायी रोजगार उत्पन्न करते हैं, टिकाऊ संपत्तियां बनाते हैं और मजदूरी समय पर देते हैं.
अधिकांश राज्य होंगे फायदे में
रिपोर्ट के अनुसार, इन सात मानकों के आधार पर फंड का वितरण न्याय और कार्यक्षमता के हिसाब से किया गया है. इसमें वित्त वर्ष 2019 से 2025 (साल 2020-21 को छोड़कर) के एमजीएनआरईजीए औसत आवंटन की तुलना नए निर्धारित मानकों से की गई है. इस नए तरीके से राज्यों को पिछले 7 वर्षों की तुलना में लगभग 17,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त लाभ मिलने की संभावना है. यानी ज्यादातर राज्य इस व्यवस्था से फायदा उठाएंगे. रिपोर्ट के अनुसार, लगभग सभी राज्यों को लाभ होगा, केवल दो राज्यों को बहुत मामूली नुकसान हो सकता है.
राज्यों को पारदर्शी फंड वितरण से 17,000 करोड़ का लाभ
तमिलनाडु के मामले में बताया गया कि अगर FY24 में हुए असामान्य बढ़ोतरी (जो FY22 और 2023 के औसत से 29%ज्यादा थी) को हटा दिया जाए, तो नुकसान लगभग न के बराबर रह जाता है. रिपोर्ट में कहा गया कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को सबसे ज्यादा फायदा होगा. इनके बाद बिहार, छत्तीसगढ़ और गुजरात को अधिक लाभ मिलने की संभावना है. यदि फंड का वितरण पारदर्शी और निर्धारित मानकों के आधार पर किया जाए, तो इससे विकसित और पिछड़े दोनों तरह के राज्यों को लाभ होगा. इसके साथ ही, राज्य अपने 40% योगदान से इस योजना के परिणामों को और अधिक प्रभावशाली और बेहतर बना सकते हैं.