China-Japan Relations: चीन और जापान के बीच इन दिनों ताइवान को लेकर तनाव बना हुआ है. इस बीच चीन की तरफ से जानकारी सामने आई है कि अगले तीन वर्षो में जापान परमाणु हथियार तैयार कर सकता है. दरअसल, चीन के परमाणु विशेषज्ञों का मानना है कि जापान के पास न सिर्फ राजनीतिक इच्छा है, बल्कि तकनीकी क्षमता भी है, जिससे वो 3 साल से भी कम समय में परमाणु हथियार तैयार कर सकता है.
बता दें कि पिछले हफ्ते जापानी प्रधानमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जापान के आसपास सुरक्षा हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं और ऐसे में जापान को परमाणु हथियार रखने चाहिए. वहीं, दूसरी ओर 18 दिसंबर को जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव मिनोरू किहारा ने दोहराया कि देश की यह पुरानी नीति नहीं बदली है कि वो कभी भी परमाणु हथियार नहीं रखेगा. इसके बावजूद, ज्यादातर परमाणु विशेषज्ञों का मानना है कि जापान न्यूक्लियर लेटेंसी की स्थिति में है. अर्थात जापान के पास अभी परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन वो बहुत कम समय में उन्हें बनाने की क्षमता रखता है.
परमाणू हथियारों के मामले में जापान इन देशों को छोड़ सकता है पीछे
पश्चिमी चीन के एक परमाणु वैज्ञानिक ने कहा कि तकनीकी रूप से जापान के पास इतनी मजबूत औद्योगिक क्षमता है कि वो कम समय में नॉर्थ कोरिया, भारत और पाकिस्तान जैसे देशों से भी ज्यादा एडवांस परमाणु हथियार बना सकता है. इसके अलावा, नागरिक परमाणु ऊर्जा के नाम पर जापान ने पर्याप्त परमाणु ईंधन भी जमा कर रखा है.
जापान परमाणु हथियार बनाने में कितना सक्षम?
विशेषज्ञों द्वारा यह अटकलें लगाई जा रही है कि जापान के पास पहले से ही दो परमाणु बम हो सकते हैं. यदि जापान परमाणु हथियार बनाने का साहस करता है, तो यह संख्या तीन या चार तक पहुंच सकती है. जापान परमाणु ऊर्जा आयोग द्वारा जारी आकड़ों के मुताबिक, जापान के पास कुल लगभग 44.4 टन अलग किया गया प्लूटोनियम है. इसमें से 8.6 टन जापान में है, जबकि 35.8 टन ब्रिटेन और फ्रांस में रखा गया है.
हालांकि, यह प्लूटोनियम हथियार-स्तर का नहीं है, लेकिन जापान के पास इसे शुद्ध करने की एडवांस क्षमता है. बता दें कि एक परमाणु बम बनाने के लिए सिर्फ करीब 8 किलोग्राम प्लूटोनियम की जरूरत होती है.
भारत को क्या होगा फायदा?
जानकारों के मुताबिक, यदि जापान 3 साल में परमाणु हथियार बना सकता है, तो इससे भारत को सीधे तौर पर परमाणु फायदा नहीं, लेकिन रणनीतिक और भू-राजनीतिक स्तर पर कुछ संभावित फायदे हो सकते हैं, जिसमें चीन पर दबाव बढ़ना, भारत जापान रणनीतिक साझेदारी मजबूत होना, इंडो-पैसिफिक में भारत की अहमियत बढ़ना और रक्षा और तकनीकी सहयोग के नए मौके का मिलना शामिल है.
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