नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर यूनिक निवेशकों की संख्या 23 सितंबर तक 12 करोड़ से ऊपर पहुंच गई है. यह जानकारी एक्सचेंज ने गुरुवार को साझा की. कुल निवेशक खातों (यूनिक क्लाइंट कोड्स) की संख्या अब 23.5 करोड़ हो चुकी है, जिसमें सभी ग्राहक पंजीकरण शामिल हैं. क्लाइंट एक से अधिक ब्रोकर्स के साथ पंजीकृत हो सकते हैं, इसलिए निवेशक खातों की संख्या यूनिक निवेशकों से अधिक होती है. एनएसई के मुताबिक, हर चार निवेशकों में से एक महिला है, जो लगभग 25% की भागीदारी दर्शाता है. यूनिक निवेशकों की मीडियन उम्र 33 वर्ष है, जो पांच साल पहले 38 वर्ष थी, और 40% निवेशक 30 वर्ष से कम उम्र के हैं.
एनएसई के चीफ बिजनेस डेवलपमेंट ऑफिसर श्रीराम कृष्णन ने क्या कहा?
एनएसई के चीफ बिजनेस डेवलपमेंट ऑफिसर श्रीराम कृष्णन ने कहा, इस साल, हमने अपने निवेशक आधार के मामले में एक और महत्वपूर्ण मानदंड पार कर लिया है. जनवरी में 11 करोड़ का आंकड़ा पार करने के बाद, यह सराहनीय है कि वैश्विक व्यापार और भू-राजनीति को लेकर लगातार बनी चिंताओं के बावजूद, एनएसई से जुड़ने वाले निवेशकों की संख्या लगभग आठ महीनों में एक करोड़ अतिरिक्त बढ़ गई है.
इस स्थिर वृद्धि को कई प्रमुख कारकों का समर्थन प्राप्त है, जिसमें एक सुव्यवस्थित केवाईसी प्रक्रिया, हितधारकों के नेतृत्व वाले निवेशक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से बढ़ी हुई वित्तीय साक्षरता, और निरंतर सकारात्मक बाजार धारणा शामिल है. कृष्णन ने आगे कहा, इक्विटी, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ), रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी), इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट), सरकारी बॉन्ड और कॉर्पोरेट बॉन्ड सहित एक्सचेंज-ट्रेडेड इंस्ट्रूमेंट्स में भागीदारी में वृद्धि इन कारकों को रेखांकित करती है.
एनएसई के संचालन के पहले 14 सालों में निवेशक आधार 1 करोड़ तक पहुंचा था, जिसके बाद इस आंकड़े में तेजी आई। मार्च 2021 तक 4 करोड़ निवेशक हुए, जिसमें 25 साल लगे, लेकिन उसके बाद अगले 1 करोड़ निवेशक मात्र 6-7 महीनों में जुड़ गए. भारत में निवेशकों की इस बढ़ती भागीदारी का श्रेय डिजिटल तकनीक, फिनटेक सेवाओं की पहुंच, मध्यम वर्ग की वृद्धि और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लागू नीतिगत उपायों को दिया जा रहा है.