इस वर्ष मई में भारत में प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल (Private Equity and Venture Capital) निवेश 97 डील के जरिए 2.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. सोमवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. ईवाई-आईवीसीए की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले महीने सबसे ज्यादा डील स्टार्टअप निवेश के माध्यम से हुई, इसके बाद ग्रोथ निवेश 0.7 बिलियन डॉलर रहा. सेक्टर दृष्टिकोण से, मई में फाइनेंशियल सर्विस टॉप सेक्टर रहा, जिसमें 758 मिलियन डॉलर का निवेश दर्ज किया गया, इसके बाद रियल एस्टेट (380 मिलियन डॉलर) का स्थान रहा.
ईवाई में प्राइवेट इक्विटी सर्विसेज के पार्टनर और नेशनल लीडर विवेक सोनी (Vivek Soni) ने कहा, पीई/वीसी एक्टिविटी में सुस्ती बनी हुई है, जैसा कि लिमिटेड डील के प्रवाह और बड़ी डील (100 मिलियन डॉलर से अधिक के सौदे) में कमी से पता चलता है. भू-राजनीतिक तनाव, अमेरिकी टैरिफ नीति और अन्य बाहरी बाधाओं ने निवेशकों की धारणा को कमजोर कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप निवेशक सतर्क और वेट-एंड-वॉच अप्रोच अपना रहे हैं.
डील की संख्या के संदर्भ में, प्योर-प्ले इंवेस्टमेंट में 16% की गिरावट आई, जबकि रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर एसेट क्लासेस में सालाना आधार पर 64% की गिरावट आई. मई में 18 डील में पीई/वीसी निकास 1 बिलियन डॉलर रहा. मई 2025 में कुल निकास मूल्य का 77% (797 मिलियन डॉलर) ओपन मार्केट एग्जिट का था. सोनी के मुताबिक, विक्रेता की अपेक्षाओं और खरीदार के मूल्यांकन के बीच बोली-मांग का अंतर अभी तक सार्थक रूप से कन्वर्ज नहीं हुआ है, जिससे पीई/वीसी इंवेस्टमेंट एक्टिविटी में कमी आई है.
उन्होंने कहा, घरेलू स्तर पर, मजबूत जीएसटी संग्रह, वर्ष की शुरुआत में देखे गए निचले स्तर से भारतीय रुपए में मजबूती और भारतीय रिजर्व बैंक की हाल ही में की गई दरों में कटौती के माध्यम से सकारात्मक गति के शुरुआती संकेत उभर रहे हैं, जिससे लिक्विडिटी में सुधार होने और डील-मेकिंग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि वैश्विक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक संघर्षों में कमी आने और विक्रेताओं और खरीदारों के बीच बोली-मांग के अंतर के कन्वर्जेंस के कारण वर्ष की दूसरी छमाही में सामूहिक रूप से इन कारकों से डील एक्टिविटी में तेजी आने की संभावना है.