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कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार को जानकारी दी कि इस साल 5 दिसंबर तक रबी फसलों के लिए बोया गया कुल क्षेत्रफल पिछले साल इसी समय के 512.76 लाख हेक्टेयर की तुलना में 24 लाख हेक्टेयर बढ़कर 536.76 लाख हेक्टेयर हो गया है. रकबे में यह बढ़ोतरी उत्पादन बढ़ने की संभावना को दर्शाती है, जिससे किसानों की आय में सुधार और खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. गेहूं का रकबा भी पिछले साल 258.48 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 275.66 लाख हेक्टेयर हो गया है.
उड़द, मसूर और मूंग जैसी दालों के तहत रकबा पिछले साल इसी अवधि के 115.41 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 117.11 लाख हेक्टेयर हो गया है. ज्वार, बाजरा और रागी जैसे मोटे अनाज या बाजरा के तहत कवर किया गया रकबा पिछले साल इसी अवधि के 41.13 लाख हेक्टेयर की तुलना में मौजूदा सीजन में अब तक 0.64 लाख हेक्टेयर बढ़कर 41.77 लाख हेक्टेयर हो गया है. सरसों और राई जैसी तिलहन फसलों के तहत रकबा पिछले साल इसी अवधि के 87.1 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2.7 लाख हेक्टेयर बढ़कर 89.79 लाख हेक्टेयर हो गया है.
मौजूदा सीजन में रबी फसलों के लिए बोया गया क्षेत्रफल बढ़ा है, क्योंकि बेहतर मानसून की वर्षा ने बिना सिंचाई वाले क्षेत्रों में बुवाई को सरल बना दिया है, जो देश की कुल कृषि भूमि का लगभग आधा हिस्सा है. आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 1 अक्टूबर 2026-27 मार्केटिंग सीजन के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दी, ताकि किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके.
न्यूनतम समर्थन मूल्य बुवाई के मौसम से काफी पहले घोषित किए जाते हैं ताकि किसान उसी के अनुसार अपनी फसल योजना बना सकें और अपनी कमाई को अधिकतम कर सकें. एमएसपी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी कुसुम के लिए घोषित की गई है, जो कि 600 रुपए प्रति क्विंटल है. इसके बाद मसूर (दाल) की एमएसपी में 300 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. रेपसीड और सरसों, चना, जौ और गेहूं के लिए, क्रमशः 250 रुपए प्रति क्विंटल, 225 रुपए प्रति क्विंटल, 170 रुपए प्रति क्विंटल और 160 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है.
मार्केटिंग सीजन 2026-27 के लिए अनिवार्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी केंद्रीय बजट 2018-19 में घोषित नीति के अनुरूप है, जिसके तहत एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना स्तर तय किया गया है. इस आधार पर अपेक्षित मार्जिन गेहूं के लिए 109%, रेपसीड और सरसों के लिए 93%, मसूर के लिए 89%, चना के लिए 59%, जौ के लिए 58% और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है. रबी फसलों की यह बढ़ी हुई एमएसपी किसानों को लाभकारी कीमतें सुनिश्चित करेगी और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देगी.