Washington: यूक्रेन के खिलाफ लगातार युद्ध लड रहे रूस को अमेरिका ने बडा झटका दिया है. अमेरिकी सीनेटरों के एक समूह ने एक नया प्रस्ताव पेश किया है. जिससे उन विदेशी कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगेगा जो रूस से तेल खरीदना जारी रखती हैं. अमेरिका का कहना है कि रूस को व्यापार से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ अपनी लड़ाई को और मजबूत करने में करता है. वहीं हालिया प्रस्ताव का मकसद रूस की लड़ाई के लिए कमाई का एक बड़ा सोर्स बंद करना है.
रूसी ऑयल प्रॉफिट (डीआरओपी) एक्ट पेश
ओहायो के रिपब्लिकन सीनेटर जॉन हस्टेड ने पेन्सिलवेनिया के सीनेटर डेव मैककॉर्मिक, मैसाचुसेट्स की एलिजाबेथ वॉरेन और डेलावेयर के क्रिस्टोफर कून्स के साथ मिलकर 2025 का घटता हुआ रूसी तेल मुनाफा/क्रीसिंग रूसी ऑयल प्रॉफिट (डीआरओपी) एक्ट पेश किया. इसके तहत अमेरिकी सरकार उन विदेशी लोगों पर रोक लगाएगी जो सीधे या किसी और तरह से रूसी पेट्रोलियम प्रोडक्ट खरीदने में शामिल पाए जाते हैं.
रूसी तेल खरीदना जारी रखने के भुगतने होंगे नतीजे
सीनेटर जॉन हस्टेड ने कहा कि यह बिल दुनिया को साफ संदेश देता है कि रूसी तेल खरीदना जारी रखने के नतीजे भुगतने होंगे. अब उन देशों के दिखावे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा जो दुनिया भर में व्लादिमीर पुतिन के कामों की बुराई करते हैं और गलत तेल खरीद के जरिए उनकी वॉर मशीन को फंड करते हैं. इसके तहत देशों को कुछ शर्तों के तहत रोक से कुछ हद तक छूट मिल सकती है, जिसमें यूक्रेन को सैन्य या आर्थिक मदद देना शामिल है.
अमेरिकी तेल खरीद सकते हैं
इस कदम का उद्देश्य अमेरिकी सहयोगियों और व्यापारिक साझेदारों को रूसी एनर्जी सप्लाई पर निर्भरता कम करने के लिए बढ़ावा देना भी है. हस्टेड ने कहा कि अगर हमारे साथी और व्यापारिक साझेदार तेल खरीदना चाहते हैं तो वे अमेरिकी तेल खरीद सकते हैं. जो देश रूसी तेल खरीदने पर जोर देते हैं. इस बिल के तहत उन्हें आगे आकर यूक्रेन को समर्थन देने के लिए प्रोत्साहित करेगा. बिल के समर्थकों ने बताया कि रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से लगाए गए बैन के बावजूद रूसी तेल की वैश्विक मांग बनी हुई है. चीन, भारत, तुर्किए, और ईरान रूसी तेल के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक हैं.
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