रेलवे शेयरों में लौटी तेजी, 5 दिनों में मार्केट कैप 66,500 करोड़ रुपये बढ़ा

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

भारतीय रेलवे से जुड़े शेयरों में लंबे समय के बाद फिर तेजी देखने को मिली है. पिछले पांच कारोबारी सत्रों में रेलवे सेक्टर के शेयरों ने लगातार बढ़त दर्ज की है. इस तेजी के चलते रेलवे कंपनियों के मार्केट कैप में करीब 66,500 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है. निवेशक आगामी केंद्रीय बजट को ध्यान में रखते हुए फिर से निवेश कर रहे हैं, जबकि कंपनियों की कमाई के संकेत भी सकारात्मक दिखाई दे रहे हैं. वर्ष 2025 में रेलवे शेयर लंबे समय तक दबाव में रहे थे.

ज्यूपिटर वैगन्स के शेयरों में 5 दिनों में 37% की तेजी

जुलाई 2024 में सेक्टर के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद शेयरों में गिरावट आई थी. ज्यादा कीमतें और सरकारी समर्थन की उम्मीदें कम होने के चलते कई शेयर नीचे आ गए थे. अब जो तेजी आई है, उससे पता चलता है कि निवेशकों का भरोसा धीरे-धीरे लौट रहा है. इसका कारण किराया बढ़ना, बजट से उम्मीदें और कुछ कंपनियों से जुड़ी अच्छी खबरें हैं. इस तेजी में ज्यूपिटर वैगन्स सबसे आगे रहा. इसके शेयर केवल पांच दिनों में करीब 37% बढ़ गए.

RVNL 27%, IRFC 20% से ऊपर उछले

रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के शेयर लगभग 27% और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईआरएफसी) के शेयर 20% से अधिक बढ़े. इसके अलावा इरकॉन इंटरनेशनल, टीटागढ़ रेल सिस्टम्स, रेलटेल कॉर्पोरेशन, टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग, राइट्स और बीईएमएल जैसी कंपनियों के शेयरों में भी मजबूत बढ़त देखी गई. हालांकि, इतनी तेजी के बावजूद ज्यादातर रेलवे स्टॉक अभी भी अपने पुराने उच्च स्तर से नीचे ही हैं.

FY26 में दूसरी बार वृद्धि

इस तेजी का एक बड़ा कारण भारतीय रेलवे द्वारा 26 दिसंबर से यात्री किराया बढ़ाना है. यह दूसरी बार है, जब FY26 में किराया बढ़ाया गया है. लंबी दूरी की यात्रा में सामान्य, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों का किराया प्रति किलोमीटर 1 से 2 पैसे बढ़ाया गया है. हालांकि, लोकल और उपनगरीय ट्रेनों के किराए में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इस किराया बढ़ोतरी से रेलवे को चालू वित्त वर्ष में लगभग 600 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आमदनी होने की उम्मीद है.

घाटे में चल रही यात्री ट्रेन सेवाएं

फिलहाल यात्री ट्रेन सेवाएं घाटे में चल रही हैं, क्योंकि किराया वास्तविक लागत से करीब 45% कम है. यह घाटा मुख्य रूप से माल ढुलाई से होने वाली कमाई से पूरा किया जाता है. किराए में इस बदलाव से रेलवे की आय बढ़ेगी, घाटा कम होगा और रेलवे की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी.

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