एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया मजबूत वापसी कर सकता है और डॉलर के मुकाबले इसकी कीमत में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि वैश्विक अस्थिरता और भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में देरी के कारण रुपए की वैल्यू में गिरावट आई थी.
अप्रैल 2025 से कम हुआ जियोपोलिटिकल रिस्क इंडेक्स
वहीं, भारत के व्यापार आंकड़ों से यह संकेत मिलता है कि देश ने लंबे समय तक चल रही अनिश्चितताओं, बढ़ते संरक्षणवाद और श्रम आपूर्ति में उतार-चढ़ाव का सामना करते हुए मजबूती दिखाई है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ.सौम्या कांती घोष ने कहा, जियोपोलिटिकल रिस्क इंडेक्स अप्रैल 2025 से कम हुआ है और अप्रैल-अक्टूबर 2025 अवधि के लिए इंडेक्स की मौजूदा औसत वैल्यू अपने दशकीय स्तर से ऊपर है.
जल्द ही गिरावट के दौर से बाहर निकलेगा रुपया
यह इंडेक्स दिखाता है कि वैश्विक अनिश्चितताएं भारतीय रुपए पर कितना दबाव डाल रही हैं. घोष ने आगे कहा कि रुपया अभी अपने गिरावट के दौर में है और जल्द यह इससे बाहर निकलेगा. डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट का सिलसिला देखा जा रहा है. रुपया अपने मनोवैज्ञानिक स्तर 90 को पार कर चुका है और 91 के स्तर पर पहुंच गया है. हालांकि, गुरुवार को रुपए में डॉलर के मुकाबले मजबूत बढ़ोतरी देखने को मिली और यह 90.25 के स्तर तक पहुँच गया. एसबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि रुपए में यह गिरावट अब तक की सबसे तेज रही है.
एक साल से भी कम समय में, रुपया प्रति डॉलर 85 से गिरकर 90 तक आ गया. 2 अप्रैल, 2025 को अमेरिका द्वारा प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापक शुल्क बढ़ोतरी की घोषणा के बाद भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 5.7% (मुख्य अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक) कमजोर हुआ. हालांकि, अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते को लेकर आशावाद के चलते बीच-बीच में रुपए में मजबूती भी देखी गई है.

