शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों के नेट एडवांसेज में FY26 की सितंबर तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 11.3% की वृद्धि दर्ज की गई है. यह वृद्धि मुख्य रूप से रिटेल और एमएसएमई लोन सेगमेंट में तेजी के कारण देखने को मिली. बुधवार को जारी केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, रिटेल और MSME क्षेत्र में क्रेडिट ग्रोथ में दोबारा रफ्तार आई है. हालांकि, तेज़ी से लेंडिंग रेट ट्रांसमिशन और डिपॉजिट रीप्राइसिंग की धीमी गति के चलते बैंकों के मार्जिन पर कुछ दबाव बना हुआ है.
सालाना आधार पर 14.5% की मजबूत ग्रोथ दर्ज
शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों में पब्लिक सेक्टर बैंकों ने एडवांसेज में सालाना आधार पर 14.5% की मजबूत ग्रोथ दर्ज की, जबकि प्राइवेट सेक्टर बैंकों ने 9.4% की बढ़ोतरी दर्ज की. इस बीच, पब्लिक सेक्टर बैंकों में डिपॉजिट में 11% और प्राइवेट बैंकों में 10% की तेजी दर्ज की गई. टर्म डिपॉजिट में 12% की बढ़ोतरी हुई इसलिए करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट रेश्यो 37.4% हो गया, जो कि ठीक एक वर्ष पहले 38.5% दर्ज किया गया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि FY25-26 की दूसरी तिमाही में शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों ने स्थिर लोन ग्रोथ के साथ हल्के एनआईएम (नेट इंटरेस्ट मार्जिन) दबाव के बावजूद संतुलित प्रदर्शन किया. यह सुधार त्योहारों के मौसम में वाहनों की बढ़ती मांग, जीएसटी दरों में कटौती और ऊंची बॉन्ड यील्ड से मिले समर्थन की वजह से संभव हुआ. रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, इन बैंकों का वेटेड एवरेज लेंडिंग रेट 9.32% और एवरेज यील्ड 8.80% रही, जो रेट कट के बाद तेज लोन रीप्राइसिंग को दर्शाती है.
केयरएज रेटिंग्स का अनुमान है कि फेस्टिव खर्च, जीएसटी लाभ और बढ़ते क्रेडिट कार्ड और कंज्यूमर-ड्यूरेबल लिंक्ड प्रोडक्ट्स के कारण FY26 की तीसरी तिमाही में लोन की मांग मजबूत होगी. रिपोर्ट में बताया गया है कि शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों के लिए इस तिमाही में सालाना आधार पर नेट इंटरेस्ट मार्जिन 21 बेसिस पॉइंट घटकर 3.13% रह गया. रेटिंग एजेंसी के अनुसार, नेट इंटरेस्ट मार्जिन में आई गिरावट का मुख्य कारण डिपॉजिट दरों में अपेक्षाकृत धीमी समायोजन की तुलना में लेंडिंग रेट में तेजी से की गई कटौती और उच्च यील्ड वाले सेगमेंट में अपेक्षाकृत कम क्रेडिट ग्रोथ रहा.