Tamil Nadu: चंद्रपडी में फिश लैंडिंग सेंटर का काम तेज, मार्च 2026 तक पूरा होने की उम्मीद

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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तमिलनाडु के थारंगमबाड़ी क्षेत्र के चंद्रपडी गांव में फिश लैंडिंग सेंटर के उन्नयन का कार्य तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. परियोजना के तहत नदी के दोनों किनारों पर सुरक्षा दीवारें और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक, यह काम अपनी निर्धारित समय-सीमा दिसंबर 2026 से पहले ही, मार्च 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा. यह 32 करोड़ रुपये की परियोजना नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) की योजना के अंतर्गत मत्स्य पालन एवं मछुआरा कल्याण विभाग द्वारा लागू की जा रही है.

चंद्रपडी फिश लैंडिंग सेंटर विकास

इस प्रोजेक्ट का मकसद तटीय सुरक्षा उपायों को मजबूत करना और स्थानीय मछुआरा समुदाय के लिए मछली औद्योगिक भूमि की उपलब्धता में सुधार करना है, जो रोजाना मछली पकड़ने के लिए नंदलार मुहाने पर निर्भर हैं. चंद्रपडी गांव में पारंपरिक तौर पर मछली पकड़ने का कार्य किया जाता रहा है. यहां लगभग 2,895 मछुआरे 13 मशीनीकृत नावों और 212 फाइबर नावों का इस्तेमाल करके समुद्री मछली पकड़ने का काम करते हैं. गांव में आजीविका बनाए रखने के लिए मुहाना और लैंडिंग सुविधाएं बहुत जरूरी हैं.

चंद्रपडी फिश लैंडिंग सेंटर: 75% कार्य पूरा

मत्स्य पालन विभाग के सहायक इंजीनियर टी. गौतम के अनुसार, चल रहे कामों में नदी के दक्षिणी किनारे पर 260 मीटर और उत्तरी किनारे पर 220 मीटर लंबी पत्थर की नदी ट्रेनिंग दीवारों का निर्माण, 60 मीटर लंबी नाव बर्थिंग जेट्टी, और नेविगेशन तथा सुरक्षा सुधार के लिए लगभग 96,250 क्यूबिक मीटर की ड्रेजिंग शामिल है. यह प्रोजेक्ट फरवरी 2025 में शुरू हुआ था और अब तक इसकी लगभग 75 प्रतिशत भौतिक प्रगति हो चुकी है.

चंद्रपडी मछली लैंडिंग सेंटर: जेट्टी और ड्रेजिंग का काम जारी

अधिकारी ने बताया कि जेट्टी पर काम अभी जारी है, जबकि ड्रेजिंग अभी शुरू नहीं हुई है, जिसे अगले एक महीने के भीतर शुरू करने की उम्मीद है. फिलहाल, दक्षिणी दीवार का लगभग 235 मीटर और उत्तरी दीवार का 205 मीटर काम पूरा हो चुका है. इससे पहले, चंद्रपडी में 10 करोड़ रुपए की लागत से एक मछली लैंडिंग सेंटर बनाया गया था, जिसका 20 अगस्त, 2024 को उद्घाटन किया गया था. इस सुविधा में 75 मीटर लंबा नाव बर्थिंग जेट्टी, एक मछली नीलामी हॉल, एक जाल मरम्मत शेड, 150 मीटर सड़क कनेक्टिविटी और नदी के मुहाने पर 50,000 क्यूबिक मीटर की ड्रेजिंग शामिल है.

मछुआरों की समस्याओं का समाधान

गांव के एक मछुआरे मार्टिन ने कहा, अभी हम अपनी नावें पूमपुहार और तिरुमुलईवासल में लगाते हैं, जिसमें काफी यात्रा करनी पड़ती है. जब यह फैसिलिटी पूरी तरह से बन जाएगी, तो हमारी अधिकतर दिक्कतें हल हो जाएंगी. इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि समुद्र के कटाव को रोकने के उद्देश्य से तट के किनारे छोटे ग्रॉइन बनाने का काम भी चल रहा है, जो चंद्रपडी गांव वालों की लंबे समय से चली आ रही मांग थी.

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