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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
फेस्टिव सीजन की सक्रियता के चलते भारत की आर्थिक वृद्धि FY26 की दूसरी तिमाही में लगभग 7.5% रहने का अनुमान है. यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई. एसबीआई रिसर्च द्वारा संकलित डेटा के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती निवेश गतिविधियों में इजाफा, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती खपत और सर्विसेज एवं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूत विकास से मिल रही है. इस सकारात्मक रुझान को संरचनात्मक सुधारों, जैसे जीएसटी 2.0, का भी समर्थन मिल रहा है, जिसने फेस्टिव डिमांड को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
एसबीआई रिसर्च ने बताया कि अधिकतर आर्थिक संकेतक अब तेजी दिखा रहे हैं. कृषि, उद्योग, सेवाओं और उपभोग से जुड़े 50 प्रमुख संकेतकों में से 83% ने दूसरी तिमाही में सुधार दिखाया, जबकि पहली तिमाही में यह आंकड़ा 70% पर था. रिपोर्ट में बताया गया कि FY26 की दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि दर 7.5-8% के बीच रह सकती है और जीवीए ग्रोथ करीब 8% के आसपास रहने का अनुमान है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि आने वाली तिमाही में व्यापक स्तर पर ग्रोथ मजबूत रहने का अनुमान है.
सितंबर से अक्टूबर तक चले फेस्टिव सीजन ने मांग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसके साथ ही, जीएसटी दरों में कटौती और ई-कॉमर्स गतिविधियों में मजबूती ने उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा दिया। क्रेडिट और डेबिट कार्ड लेनदेन के आंकड़े दिखाते हैं कि ऑटो, किराना, इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू सामान और यात्रा जैसी श्रेणियों में मजबूत बढ़ोतरी हुई। मध्यम वर्ग के शहरों में खर्च में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई, जबकि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डेबिट कार्ड के उपयोग में बड़े महानगरों ने अग्रणी भूमिका निभाई.
रिपोर्ट के अनुसार, डेबिट कार्ड से की गई खरीदारी में किराना और सुपरमार्केट की वस्तुओं का बड़ा योगदान रहा. रिपोर्ट में पाया गया कि जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने से अधिकांश प्रमुख उपभोग श्रेणियां अत्यधिक लचीली हो गई हैं, जिसका अर्थ है कि उपभोक्ताओं ने कम कर दरों पर मजबूत प्रतिक्रिया दी. केवल वस्त्र क्षेत्र में कम लचीलापन दिखा। एसबीआई रिसर्च के अनुसार, एक औसत भारतीय उपभोक्ता अब अपने मासिक उपभोग व्यय में लगभग 7% तक की बचत कर सकता है. इसके साथ ही, जैसे-जैसे अधिक डेटा उपलब्ध होगा, यह बचत और भी बढ़ने की संभावना है.