त्रिपुरा में जीएसटी कटौती: हैंडलूम, चाय, रेशम और फलों के निर्यात में बढ़ोतरी

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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सरकार ने गुरुवार को बताया कि हाल में जीएसटी दरों में की गई कटौती से त्रिपुरा के हैंडलूम, चाय, रेशम और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की लागत घट रही है और उनके उत्पादों की बाजार में पहुंच बढ़ रही है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि ये सुधार रीसा और पचरा-रिग्नाई वस्त्रों, त्रिपुरा क्वीन अनानास और रेशम उद्योग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं, साथ ही आदिवासी महिलाओं, कारीगरों और छोटे किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बना रहे हैं.

हथकरघा उद्योग से जुड़े 1.3 लाख से अधिक परिवारों को होगा लाभ

साथ ही मूल्यवर्धन और निर्यात को भी बढ़ावा देते हैं. जीआई-टैग वाले रीसा और पचरा-रिग्नाई वस्त्रों पर ये कटौती लागू हुई है, जिससे हथकरघा उद्योग से जुड़े 1.3 लाख से अधिक परिवारों को लाभ होगा, साथ ही इन कपड़ों से बने सिले हुए परिधानों को भी लाभ होगा, जिससे स्थानीय रूप से बुने हुए कपड़ों की मूल्य प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. जीएसटी में हालिया संशोधनों ने इस पारंपरिक शिल्प को और बढ़ावा दिया है. अब कपड़ों पर जीएसटी लगभग 5% हो गया है और 2,500 रुपए तक के सिले हुए परिधानों को पहले के 12% कर स्लैब से हटाकर 5% कर स्लैब में डाल दिया गया है.

राज्य की सांस्कृतिक विरासत को भी करेगी संरक्षित

बयान में कहा गया है कि सिले हुए रीसा-आधारित परिधानों पर 7% की यह कटौती ग्रामीण महिलाओं के लिए आय के अवसरों को बढ़ाएगी और साथ ही राज्य की सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित करेगी. पैकेज्ड और इंस्टेंट चाय पर भी अब 5% GST लगेगा, जिससे 54 चाय बागानों और लगभग 2,755 छोटे चाय उत्पादकों को लाभ होगा और बांग्लादेश, मध्य पूर्व और यूरोप जैसे बाजारों में निर्यात करते हैं. त्रिपुरा में रेशम उत्पादन क्षेत्र, जिसमें लगभग 15,550 किसान शामिल हैं, अब 5% जीएसटी दर के अधीन हैऋ

फलों और सब्जियों के रस पर 7% जीएसटी कटौती का मिलेगा लाभ

इससे रेशम मूल्य श्रृंखला के सभी चरण—कोकून की खेती, पालन, कच्चे रेशम का उत्पादन और छोटे पैमाने की रीलिंग इकाइयों का संचालन—की लागत कम होगी. इसके अतिरिक्त, राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को फलों और सब्जियों के रस पर 7% जीएसटी कटौती का लाभ मिलेगा, जिसमें जीआई-टैग प्राप्त त्रिपुरा क्वीन अनानास भी शामिल है. त्रिपुरा में इस समय लगभग 2,848 खाद्य और कृषि-प्रसंस्करण इकाइयां सक्रिय हैं.

कर दबाव को कम करके, यह सुधार प्रसंस्करण, पैकेजिंग और निर्यात को प्रोत्साहित करता है, जिससे त्रिपुरा के फल क्षेत्र को कृषि-आधारित उत्पादन से अधिक मूल्य-संचालित, बाजार-उन्मुख पारिस्थितिकी तंत्र में विकसित होने में मदद मिलती है. वित्त वर्ष 2018-19 से 2024-25 तक, त्रिपुरा ने दुबई, ओमान, कतर और बांग्लादेश को लगभग 73 मीट्रिक टन अनानास का निर्यात किया. वहीं, अन्य भारतीय राज्यों को लगभग 15,000 मीट्रिक टन अनानास की आपूर्ति की गई.

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