नवंबर महीने में दोपहिया वाहनों की थोक बिक्री सालाना आधार पर 19% की बढ़त के साथ 18 लाख यूनिट पर पहुंच गई है. यह जानकारी शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई है. आईसीआरए के अनुसार, थोक बिक्री में इस मजबूत वृद्धि के पीछे GST दरों में कटौती और वाहन कंपनियों द्वारा डीलरों को दिए गए आकर्षक ऑफर्स अहम वजह रहे. इसके चलते त्योहारों के बाद भी शोरूम में ग्राहकों की आवाजाही बनी रही और डीलरों ने अपनी इन्वेंट्री दोबारा भरने में रुचि दिखाई.
FY26 में दोपहिया वाहनों की बिक्री में 6-9% ग्रोथ की संभावना
रेटिंग्स फर्म ने कहा कि FY26 दोपहिया वाहनों की वॉल्यूम ग्रोथ 6-9% बढ़ सकती है. इसे जीएसटी में कटौती, शहरी खपत में बढ़ोतरी और सामान्य मानसून से ग्रामीण मांग में रिकवरी में मदद मिलेगी. हालांकि, नवंबर में दोपहिया वाहनों की रिटेल बिक्री सालाना आधार पर 9.1% कम हुई है. इसकी वजह त्योहारी सीजन में ज्यादा बिक्री होना है. दीपावली और दशहरा जैसे त्योहारों के कारण अक्टूबर में त्योहारी सीजन में बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर थी. रिपोर्ट में कहा गया कि GST सकारात्मक असर और चल रहे शादी के सीजन से मिल रही मजबूत मांग के चलते डीलरों को ग्राहकों से लगातार अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है.
इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की नवंबर में बिक्री में 1.4% गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री में सालाना आधार पर हल्की 1.4% की गिरावट दर्ज की गई है और नवंबर महीने में इनकी बिक्री 1,17,335 यूनिट रही. हालांकि, वित्त वर्ष 2026 के पहले आठ महीनों के दौरान कुल दोपहिया वाहन बाजार में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 6 से 7% पर बनी रही, जो इनके उपयोग में धीरे-धीरे हो रही बढ़ोतरी को दर्शाती है. डरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मांग में सुधार के चलते डीलरों की इन्वेंट्री स्थिति में भी सुधार हुआ है. सितंबर के अंत में जहां इन्वेंट्री स्तर लगभग 60 दिनों का था, वहीं नवंबर 2025 तक यह घटकर 44–46 दिनों पर आ गया.
यूटिलिटी वाहनों की हिस्सेदारी 67%
वहीं, नवंबर में यात्री वाहनों की कुल बिक्री में यूटिलिटी वाहनों की हिस्सेदारी 67% रही, जो अक्टूबर के 69% के मुकाबले कुछ कम है. दूसरी ओर, जीएसटी में कटौती के बाद मिनी, कॉम्पैक्ट और सुपर-कॉम्पैक्ट सेगमेंट में मांग में सुधार देखने को मिला है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नीतिगत सुधारों के जारी रहने और बाजार में सकारात्मक माहौल के चलते यह बढ़त 2026 तक बनी रह सकती है.
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