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देश में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में सबसे बड़ा बदलाव यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के माध्यम से देखने को मिला है. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि 2017-18 में यूपीआई के जरिए कुल केवल 92 करोड़ (920 मिलियन) लेनदेन किए गए थे, जबकि 2024-25 में यह संख्या बढ़कर 18,587 करोड़ (185.87 अरब) लेनदेन तक पहुँच गई। इस अवधि में यह 114 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्शाता है.
लेनदेन के कुल मूल्य के मामले में भी यूपीआई ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है. 2017-18 में कुल भुगतान मूल्य ₹1.10 लाख करोड़ था, जो 2024-25 में बढ़कर ₹261 लाख करोड़ तक पहुँच गया. इस तेज़ वृद्धि के पीछे सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा किए गए नीतिगत सुधार, डिजिटल भुगतान के बुनियादी ढांचे का विस्तार, और व्यापारियों व उपयोगकर्ताओं के बीच यूपीआई की बढ़ती स्वीकार्यता मुख्य कारक हैं.
जुलाई 2025 में नया कीर्तिमान
जुलाई 2025 में यूपीआई के माध्यम से कुल 19.46 अरब लेनदेन दर्ज किए गए, जो इसके लॉन्च के बाद से अब तक का सबसे ऊँचा मासिक रिकॉर्ड है. इस दौरान व्यक्ति से व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति से व्यापारी (P2M) दोनों प्रकार के लेनदेन में वृद्धि देखी गई.
डिजिटल भुगतान का विस्तार
वित्त वर्ष 2024-25 में देश में कुल डिजिटल लेनदेन 228.31 अरब तक पहुँच गए, जिसमें यूपीआई ने सबसे बड़ा योगदान दिया. इस प्लेटफ़ॉर्म ने छोटे व्यापारियों, स्टार्टअप्स और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) को आसान भुगतान और ऋण सुविधाएँ प्राप्त करने में महत्वपूर्ण मदद की है.
भविष्य में शुल्क लगने की संभावना
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर संजय मल्होत्रा ने संकेत दिया कि भविष्य में यूपीआई लेनदेन पर भेजने और प्राप्त करने के लिए कुछ शुल्क लगाया जा सकता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि इस पर विचार जारी है और कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है. विशेषज्ञों का मानना है कि यूपीआई की यह तेज़ रफ्तार भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में अहम भूमिका निभा रही है और आने वाले वर्षों में इसमें और वृद्धि की संभावना है.