अमेरिका ने बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या को बताया भयानक, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी आग्रह

Washington: बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की निर्ममता से हत्या को लेकर दुनियाभर में निंदा हो रही है. इस हत्या ने देश में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों विशेष रूप से हिंदुओं की स्थिति पर जांच बढ़ा दी है. अमेरिकी विदेश विभाग ने हाल ही में हुई इस धार्मिक हिंसा की निंदा की है. हालांकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा सभी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों का स्वागत भी किया है.

बिना शर्त धार्मिक नफरत की निंदा करने की अपील

एक प्रभावशाली अमेरिकी सीनेटर ने दीपू चंद्र दास की मॉब लिंचिंग को भयानक बताया और बिना शर्त धार्मिक नफरत की निंदा करने की अपील की. बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की बढ़ती घटनाओं से जुड़े सवाल पर अमेरिकी प्रवक्ता ने बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति, शांतिपूर्ण सभा और संगठन की स्वतंत्रता का समर्थन करता है. प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका धार्मिक हिंसा की कड़ी निंदा करता है.

सभी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित के कदमों का स्वागत

साथ ही हम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा सभी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों का स्वागत करते हैं. अमेरिकी सीनेटरों ने भी इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. रो खन्ना ने इस हत्या को भयानक बताया और धार्मिक नफरत की कड़ी निंदा करने का आग्रह किया. रो खन्ना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा  कि बांग्लादेश में 27 वर्षीय हिंदू कपड़ा मजदूर दीपू चंद्र दास की हत्या भयानक है और मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं दीपू के दोस्तों और परिवार के साथ हैं.

इन घिनौने कृत्यों की कड़ी निंदा

उन्होंने कहा कि हमें नफरत और कट्टरता के इन घिनौने कृत्यों की कड़ी निंदा करनी चाहिए और उनके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. बांग्लादेश के भालुका के कपड़ा मजदूर दीपू चंद्र दास की 18 दिसंबर को जान चली गई थी. ईशनिंदा के आरोप लगाकर भीड़ ने उस पर हमला किया, पीट-पीटकर मार डाला और उसके शव को जला दिया. एडवोकेसी समूहों का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले बढ़े हैं.

भीड़ हिंसा, तोड़फोड़ और धमकी की घटनाओं का हवाला

उन्होंने कई क्षेत्रों में भीड़ हिंसा, तोड़फोड़ और धमकी की घटनाओं का हवाला दिया है. हालांकि विदेश विभाग ने राजनयिक मुलाकातों के बारे में विवरण नहीं दिया लेकिन उसने धार्मिक हिंसा की निंदा पर जोर दिया. साथ ही सभी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश के अंतरिम अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों का स्वागत किया.

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