Vedanta Limited ने 1 गीगावाट अक्षय ऊर्जा का आंकड़ा किया पार, 2030 तक 2.5 गीगावाट का लक्ष्य

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) पर भारतीय उद्योग जगत कार्बन उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों को आगे बढ़ा रहा है. भारतीय खनन और धातु कंपनी वेदांता लिमिटेड (Vedanta Limited) ने कहा, उसने अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाकर 1.03 गीगावाट कर लिया है. कंपनी ने कहा, वह 2030 तक 2.5 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा तक पहुँचने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. एक बयान के मुताबिक, कंपनी ने बिजली वितरण समझौतों के माध्यम से अपनी 24 घंटे समतुल्य नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाकर 1.03 गीगावाट कर लिया है.
वेदांता ने कहा है कि उसका लक्ष्य 2050 तक या उससे पहले शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करना है. कंपनी ने कहा, “1 गीगावाट अक्षय ऊर्जा संभावित रूप से वेदांता को सालाना 6 मिलियन टन से अधिक कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सक्षम बनाएगी. यह सालाना लगभग 350 मिलियन पेड़ों द्वारा कार्बन पृथक्करण के बराबर है.” भारत की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी वेदांता एल्युमीनियम ने अपने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और टिकाऊ प्रथाओं को एकीकृत करने के उद्देश्य से कई पहलों की विस्तृत जानकारी दी है.
इस वर्ष, अग्रणी धातु कंपनी नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन की अपनी रणनीति को आगे बढ़ा रही है, जिसे सेरेंटिका रिन्यूएबल्स के साथ दीर्घकालिक साझेदारी का समर्थन प्राप्त है. वेदांता एल्युमीनियम ओडिशा और छत्तीसगढ़ में अपने परिचालन के लिए 1,335 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत प्राप्त करेगी. यह 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 30 प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों से पूरा करने के व्यापक लक्ष्य का हिस्सा है- जो 2050 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की दिशा में एक अंतरिम मील का पत्थर है.
कंपनी मोबिलिटी और लॉजिस्टिक्स से होने वाले उत्सर्जन को भी संबोधित कर रही है. वेदांता एल्युमीनियम ने 2030 तक अपने हल्के मोटर वाहन बेड़े के 100 प्रतिशत को डीकार्बोनाइज़ करने की प्रतिबद्धता जताई है. इस प्रयास के तहत, इसने भारत का पहला 10 टन का इलेक्ट्रिक फोर्कलिफ्ट तैनात किया है और अब अपने झारसुगुड़ा संयंत्र में देश के सबसे बड़े इलेक्ट्रिक लिथियम-आयन फोर्कलिफ्ट बेड़े का संचालन कर रहा है. इस पहल का उद्देश्य डीजल की खपत और उससे संबंधित उत्सर्जन को कम करना है. कंपनी अपने वाणिज्यिक वाहन बेड़े में बायोडीजल के उपयोग का परीक्षण भी कर रही है, जिसके लिए पायलट प्रोजेक्ट अभी चल रहे हैं.
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