भारत ने वर्ष 2014 से 2024 के बीच 500 अरब डॉलर ($500 billion) से भी ज्यादा का एफडीआई इक्विटी इनफ्लो (FDI equity inflows) हासिल किया है, जो कि इससे पहले के दशक में 208 अरब डॉलर था. यह जानकारी इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम (Industry Chamber Assocham) के चेयरमैन संजय नायर (Sanjay Nair) ने दी.
उन्होंने एक मीडिया आर्टिकल में लिखा, इसमें 300 अरब डॉलर केवल 2019 से 2024 के बीच आए हैं, जो दिखाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का तेज विकास ग्लोबल निवेशकों को आकर्षित कर रहा है. उन्होंने आर्टिकल में इस उछाल का श्रेय मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीमों को दिया है, जिससे न केवल बिजनेस करने में आसानी हुई है, बल्कि भारत को क्लीन टेक्नोलॉजी और सस्टेनेबल ग्रोथ के केंद्र के रूप में भी स्थापित किया है.
सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सेक्टर को $95 billion का FDI
संजय नायर ने बताया कि पिछले दशक में मैन्युफैक्चरिंग और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का रिसर्जेंस हुआ है. साल 2014 से अब तक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सेक्टर को 95 अरब डॉलर का एफडीआई मिला है, जबकि सर्विसेज (फाइनेंस और आईटी से लेकर आरएंडडी और कंसल्टेंसी तक) ने 77 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया है.
स्मार्टफोन निर्यात बढ़कर 21 अरब डॉलर
2014 में भारत में उपयोग होने वाले 75-80 फीसदी स्मार्टफोन आयात किए गए थे. पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) के कारण अब फॉक्सकॉन और विस्ट्रॉन के जरिए ऐपल जैसी कंपनियां अब भारत में आईफोन असेंबल (iPhone Assemble) कर रही हैं. स्मार्टफोन निर्यात बढ़कर 21 अरब डॉलर हो गया है. संजय नायर ने बताया कि ग्लोबल निवेशक भारत के ग्रीन एनर्जी सेक्टर (Green Energy Sector) में भी बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं. रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) से लेकर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी तक भारत तेजी से ग्लोबल क्लीन-टेक वैल्यू चेन में एक प्रमुख नोड बन रहा है.