Supreme Court on Shabir Ahmad Shah: टेरर फंडिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की जमानत याचिका पर सुनवाई 7 जनवरी तक टाल दी है. गुरुवार को जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच शब्बीर अहमद शाह की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के जमानत न देने के आदेश को चुनौती दी गई थी.
कोर्ट में एनआईए के अधिवक्ता ने कार्यवाही को जनवरी तक टालने का अनुरोध किया और सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता दूसरी बेंच के सामने एक आंशिक रूप से सुने गए मामले में व्यस्त हैं और इसलिए उपलब्ध नहीं हैं. एनआईए के अधिवक्ता ने एक महीने के स्थगन की बात कोर्ट से कही. इस पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, “जनवरी क्यों? वह जमानत मांग रहे हैं. मामला कब से लंबित है?” इसके बाद कोर्ट ने शाह की याचिका को 7 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. साथ ही जस्टिस नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच ने चेतावनी दी कि आगे कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा.
मालूम हो कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 4 जून 2019 को शब्बीर शाह को गिरफ्तार किया था. एनआईए ने आरोप लगाया है कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेटवर्क को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. हवाला चैनलों और एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) व्यापार के जरिए फंड लेकर विध्वंसक और आतंकवादी गतिविधियों में मदद की.
शब्बीर पर पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों, जैसे हिजबुल मुजाहिदीन के सैय्यद सलाहुद्दीन, लश्कर-ए-तैयबा के हाफिज सईद और इफ्तिखार हैदर राणा जैसे आतंकियों से संपर्क रखने का भी आरोप है. एनआईए का दावा है कि शाह ने हवाला नेटवर्क के जरिए आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाया और जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने में भूमिका निभाई. यह मामला जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों से जुड़ा है, जिसे लेकर एनआईए लगातार जांच कर रही है. शब्बीर शाह की गिरफ्तारी के बाद से यह मामला सुर्खियों में था.