हवस, हत्या और हैवानियत: सीरियल किलर रविंद्र कुमार की खौफनाक दास्तान

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

दिल्ली की गलियों में सालों तक एक ऐसा दरिंदा बेखौफ घूमता रहा, जिसने न सिर्फ मासूम बच्चियों की जिंदगी छीनी, बल्कि इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया. यह कहानी है सीरियल किलर रविंद्र कुमार (Serial Killer Ravinder Kumar) की, एक ऐसा वहशी शिकारी, जिसने 7 साल में 30 से ज़्यादा मासूम बच्चियों को अपनी हवस और हैवानियत का शिकार बनाया. हाल ही में दिल्ली की एक अदालत ने उसे एक और जघन्य अपराध में दोषी करार दिया है और अब 28 अगस्त को उसके गुनाहों की सजा सुनाई जाएगी.

दिल दहला देने वाला जुर्म

35 वर्षीय रविंद्र कुमार के अपराधों की दास्तान इतनी भयावह है कि जानकर रूह कांप उठे. पुलिस के मुताबिक, वह मुख्यतः 6 से 12 साल की उम्र की बच्चियों को निशाना बनाता था, लेकिन हैवानियत की हद तो तब पार हो गई जब उसने दो साल के मासूम बच्चे को भी नहीं बख्शा. साल 2014 में जब पहली बार एक ढाई साल की बच्ची की लाश संदिग्ध हालत में बरामद हुई, तब इस सिलसिलेवार अपराध का खुलासा होना शुरू हुआ.

पुलिस जांच के दौरान जब रविंद्र को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई, तो उसने जो कबूलनामा किया, उसने अधिकारियों के भी होश उड़ा दिए. पूछताछ में रविंद्र ने 30 से ज़्यादा बच्चियों के साथ रेप और हत्या की बात कबूल कर पुलिस के भी होश उड़ा दिए. उसने कहा था, “मैंने बच्चों को अगवा किया, रेप किया और फिर उन्हें मार डाला. यहां तक कि शव के साथ भी रेप किया. मुझे उसमें मजा आता था.”

टॉफी का लालच देकर करता था दरिंदगी

पुलिस जांच में पता चला कि रविंद्र हर शाम नशे की हालत में अपने शिकार की तलाश में 40 किलोमीटर तक पैदल चलता था. वह बच्चों को पैसे या टॉफी का लालच देकर सुनसान जगह पर ले जाता, उनके साथ दरिंदगी करता और फिर उन्हें मार डालता था. यूपी के कासगंज का रहने वाला रविंद्र कुमार एक मजदूर परिवार से था.

2008 में वह काम की तलाश में दिल्ली आया, लेकिन जल्द ही उसे नशे और पोर्न फिल्मों की लत लग गई. इसी साल उसने अपनी पहली बच्ची का रेप और हत्या की. पकड़ा न जाने पर उसका हौसला और बढ़ गया.

पहले भी हो चुका है गिरफ्तार

रविंद्र कुमार को पहली बार 2014 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन पर्याप्त सबूतों के अभाव में अदालत से उसे रिहा कर दिया गया. हालांकि, एक साल बाद 2015 में उसने फिर एक 6 साल की बच्ची का अपहरण किया, जिसके बाद पुलिस ने उसे दिल्ली के रोहिणी इलाके से दोबारा गिरफ्तार किया. इस बार पुलिस के पास पुख्ता सबूत थे, जिससे मामला मजबूत हुआ. लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद मई 2023 में अदालत ने रविंद्र को उम्रकैद की सजा सुनाई। तब से वह जेल में बंद है.

अदालत का फैसला

23 अगस्त को 2014 के एक मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने ठोस और भरोसेमंद साक्ष्य पेश किए हैं, जबकि आरोपी की दलीलों में कोई विश्वसनीयता नहीं पाई गई. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बच्ची के सिर पर गंभीर चोट, होंठों पर दांतों के निशान और दम घुटने से मौत की पुष्टि हुई थी. जो इस जघन्य अपराध की पुष्टि करते हैं.

अदालत ने रविंद्र कुमार को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 363 (अपहरण) के तहत दोषी ठहराया. अदालत ने साफ़ कहा, “उसका अपराध अमानवीय और निर्मम है. न समाज को, न अदालत को और न ही कानून को उसके लिए किसी नरमी की गुंजाइश है.” यह सिर्फ एक हत्यारे की कहानी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है.

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