Trump Administration: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को पोर्टलैंड में नेशनल गार्ड तैनात करने से अमेरिका की ओरेगन की एक संघीय अदालत ने रोक दिया है. कोर्ट ने कहा कि शहर में स्थिति नियंत्रण से बाहर होने का कोई विश्वसनीय सबूत नहीं मिला है. यह आदेश अमेरिकी जिला न्यायाधीश करीन इम्मरगट ने दिया, जो खुद राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा नियुक्त जज हैं. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि संघीय कानून के तहत सेना की घरेलू तैनाती के लिए जरूरी शर्तें इस मामले में पूरी नहीं होतीं.
कोर्ट ने बताया कि ट्रंप प्रशासन ने यह कदम इस वर्ष की शुरुआत में तब उठाया था, जब पोर्टलैंड और अन्य शहरों में इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट ऑफिस के बाहर प्रदर्शन हो रहे थे. राज्य सरकार और शहर प्रशासन ने इस फैसले के खिलाफ सितंबर में अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
तीन दिन की सुनवाई के बाद आया फैसला
जज इम्मरगट ने कहा कि कोर्ट को ऐसा कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं मिला, जिससे यह साबित हो सके कि हालात बेकाबू थे. यह फैसला तीन दिन चली सुनवाई के बाद आया, जिसमें दोनों पक्षों ने 750 से अधिक साक्ष्य अदालत में पेश किए. अदालत अब शुक्रवार को इस पर अंतिम आदेश जारी करेगी. यह मामला अमेरिका के कई शहरों में ट्रंप प्रशासन द्वारा विरोध-प्रदर्शनों को दबाने के लिए नेशनल गार्ड की तैनाती से जुड़ी कानूनी खींचतान का हिस्सा है.
जाने क्या है पूरा मामला
मालूम हो कि ट्रंप प्रशासन ने कहा था कि वह 200 नेशनल गार्ड जवानों को 60 दिनों के लिए संघीय नियंत्रण में लेकर पोर्टलैंड में भेजेगा, ताकि संघीय संपत्तियों की रक्षा की जा सके. यह फैसला तब लिया गया था, जब राष्ट्रपति ट्रंप ने शहर को ‘युद्धग्रस्त’ बताया था. ओरेगन के अधिकारियों ने इस बयान को हास्यास्पद बताया और कहा कि शहर को किसी सैन्य हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि पोर्टलैंड में हाल के विरोध प्रदर्शन सिर्फ एक ब्लॉक के क्षेत्र तक सीमित थे और उनमें कुछ ही दर्जन लोग शामिल होते थे. इस पर अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति का आदेश संविधान और उस संघीय कानून का उल्लंघन है, जो सामान्य परिस्थितियों में सेना को घरेलू कानून लागू करने से रोकता है.