लखनऊ: उत्तर प्रदेश से बड़ी खबर सामने आई है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए पुलिस रिकॉर्ड्स और सार्वजनिक स्थलों से जाति के उल्लेख पर रोक लगा दी गई है. कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने आदेश जारी किए हैं, जिसके अनुसार, एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो आदि में जाति का उल्लेख हटेगा और माता-पिता के नाम जोड़े जाएंगे. इसे यूपी के लिए सरकार का एक बड़ा फैसला माना जा रहा है.
सचिव दीपक कुमार ने आदेश में क्या कहा?
दीपक कुमार के आदेश के अनुसार, “आप अवगत हैं कि एक सर्वसमावेशी, संवैधानिक मूल्यों के अनुकूल व्यवस्था, उत्तर प्रदेश सरकार की घोषित नीति है. इस हेतु यह आवश्यक है कि समाज में व्याप्त जातिगत विभेदकारी प्रवृत्तियों के उन्मूलन के दृष्टिगत पुलिस अभिलेखों एवं सार्वजनिक संकेतों में जाति आधारित अंकन एवं प्रदर्शन रोका जाए तथा जातीय प्रदर्शनों द्वारा जातीय संघर्ष प्रेरित करने वाले तत्वों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही की जाए.”
आदेश के अनुसार, “उल्लेखनीय है कि क्रिमिनल मिस. अप्लीकेशन 482 संख्या 31545/2024 प्रवीण छेत्री बनाम उ.प्र. राज्य व अन्य में माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा आदेश दिनांकित 16 सितंबर 2025 के माध्यम से पुलिस के अभिलेखों में अभियुक्तों की जाति का उल्लेख न किए जाने तथा वाहनों, सार्वजनिक स्थानों पर साइन बोर्ड्स, सोशल मीडिया आदि में जातीय महिमामंडन से सम्बन्धित निम्नवत निर्देश दिए गए हैं.”
SC/ST एक्ट जैसे मामलों में रहेगी छूट
थानों के नोटिस बोर्ड, वाहनों और साइनबोर्ड्स से जातीय संकेत और नारे हटाए जाएंगे. जाति आधारित रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध, सोशल मीडिया पर भी सख्त निगरानी होगी. SC/ST एक्ट जैसे मामलों में छूट रहेगी. आदेश के पालन के लिए SOP और पुलिस नियमावली में संशोधन किया जाएगा.
मामले में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का बयान
इस मामले में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “माननीय न्यायालय का आदेश है. हम लोग भी जातिवाद के पक्ष में नहीं रहते हैं. हम लोग सबका साथ सबका विकास की सोच रखते हैं. जातिवाद को करने वाले कांग्रेस और सपा वाले हैं. जातिवाद आरजेडी और इंडी गठबंधन वाले करते हैं. हम जातिवादी नहीं हैं, हम राष्ट्रवादी हैं और सबका साथ सबका विकास करने वाले हैं.”