US-China: चीन का बड़ा कदम, अमेरिका की चिप कंपनियों पर शुरू की जांच, बढ़ा व्यापारिक टेंशन

Ved Prakash Sharma
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

China US Tensions: अमेरिका के साथ चीन ने टैरिफ, व्यापार और सुरक्षा को लेकर चल रहे तनाव के बीच बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत चीन ने शनिवार को अमेरिका की सेमीकंडक्टर (चिप) कंपनियों के खिलाफ दो बड़ी जांच शुरू कर दी हैं. ये कदम स्पेन के मैड्रिड में होने वाली अहम बातचीत से ठीक पहले उठाया गया है. चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने इस मामले में बताया कि अमेरिका से आयात की जाने वाली कुछ एनालॉग चिप्स (जैसे कि इंटरफेस और गेट ड्राइवर चिप्स) पर एंटी-डंपिंग जांच शुरू की गई है. ये चिप्स टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स और ऑन सेमीकंडक्टर जैसी अमेरिकी कंपनियां बनाती हैं.

इसके साथ ही चीन ने अमेरिका द्वारा चीन की चिप इंडस्ट्री के खिलाफ भेदभावपूर्ण रवैये की भी जांच शुरू की है. मालूम हो कि यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब अमेरिका ने शुक्रवार को 23 चीनी कंपनियों को एंटिटी लिस्ट में शामिल कर लिया है, जिन पर अमेरिका के सुरक्षा और विदेश नीति हितों के खिलाफ काम करने का आरोप है. इस सूची में चीन की प्रमुख चिप कंपनी (एसएमआईसी) के लिए उपकरण खरीदने वाली दो कंपनियां भी शामिल हैं.

चीन और अमेरिकी वित्त मंत्री की मैड्रिड में मुलाकात

रविवार से बुधवार के बीच मैड्रिड में अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट और चीन के उप-प्रधानमंत्री हे लिफेंग के बीच बातचीत होगी. यह मुलाकात दोनों देशों के बीच चल रही चर्चाओं की एक कड़ी है, जिनका मकसद ट्रेड वॉर को टालना और आपसी संतुलन बनाना है. इससे पहले दोनों देश मई में जेनेवा, जून में लंदन और जुलाई में स्टॉकहोम में बातचीत कर चुके हैं. हालांकि, अब तक कई बार 90 दिनों के लिए नई टैरिफ (आयात शुल्क) रोकने पर सहमति बनी है.

बेसेंट ने पिछली मुलाकात को बताया था सकारात्मक

वहीं, बेसेंट ने पिछली बातचीत को बहुत गहन और सकारात्मक बताया था. उन्होंने कहा था कि हमें सिर्फ कुछ रणनीतिक इंडस्ट्रीज जैसे रेयर अर्थ, सेमीकंडक्टर और दवाओं में जोखिम कम करने की जरूरत है. हम दोनों देश इस दिशा में साथ मिलकर काम कर सकते हैं. मालूम हो कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन दोनों ने चीन की उन्नत चिप टेक्नोलॉजी पर कड़ी पाबंदियां लगाई हैं, जिसमें चिप बनाने वाले उपकरणों की बिक्री पर रोक भी शामिल है. ऐसे में अमेरिका का तर्क है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है, जबकि चीन इसे उसकी तकनीकी तरक्की को रोकने की साजिश मानता है.

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