भारत में मलेरिया की पहली स्वदेशी ‘VACCINE’ तैयार, जानें आम लोगों को कब तक उपलब्ध होगा इसका टीका…?

HealthTips: मलेरिया नियंत्रण में भारत को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मिली है. भारतीय वैज्ञानिकों ने पहली स्वदेशी वैक्सीन विकसित किया है. इससे संक्रमण और प्रसारण दोनों को रोकने में मदद मिलेगी. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने (AdFalciVax) एडफाल्सीवैक्स नामक मल्टी- स्टेज मलेरिया वैक्सीन तकनीक को विकसित किया है.

व्यवसायिक उत्पादन की प्रक्रिया की शुरुआत

हाल ही में इसे कई कंपनियों को लाइसेंस देकर व्यवसायिक उत्पादन की प्रक्रिया की शुरुआत की गई है. फिलहाल यह वैक्सीन आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है. क्लिनिकल ट्रायल्स और सरकारी अप्रूवल का इंतजार है. यह भारत की पहली स्वदेशी मल्टी- स्टेज मलेरिया रेकॉम्बिनेंट वैक्सीन तकनीक है, जिसका विकास ICMR-Regional Medical Research Centre (RMRC), भुवनेश्वर ने किया है. यह सबसे खतरनाक मलेरिया पैराजाइट प्लास्मोडियम फॉल्सीपेरम (Plasmodium falciparum) पर लक्षित है.

ट्रांसफर के लिए भारतीय कम्पनियों को किया आमंत्रित

जुलाई 2025 में ICMR ने “Expression of Interest” (EoI) जारी की थी, जिसमें तकनीक ट्रांसफर के लिए भारतीय कम्पनियों को आमंत्रित किया गया था. सितंबर 2025 में पांच कंपनियों को गैर- विशिष्ट (non-exclusive) लाइसेंस दिए गए हैं ताकि वे इस वैक्सीन को उत्पादन- वाणिज्यिक दायरे में लाएं. Indian Immunologicals Ltd, Techinvention Lifecare Pvt Ltd, Panacea Biotec Ltd, Biological E Ltd, और Zydus Lifesciences कंपनियां शामिल हैं.

उत्पादन की शुरू होगी तैयारी

वैक्सीन अभी उत्पादन, समीक्षा और आगे के परीक्षणों की प्रक्रिया में है. लाइसेंस का मतलब है कि उत्पादन की तैयारी शुरू होगी और आने वाले समय में इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में शामिल किया जा सकता है. ये टीका प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम नाम के खतरनाक पैरासाइट को रोककर मलेरिया के फैलने से रोकेगा और लोगों को सुरक्षित रखने में मदद करेगा. वैज्ञानिकों का मानना है कि एडफाल्सीवैक्स, मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ पूरी तरह असरदार साबित होगा.

कुछ हिस्सों में मलेरिया के मामले बेहद ज्यादे

विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां मलेरिया अधिक फैलता है. ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में मलेरिया के मामले बेहद ज्यादे हैं. सितंबर के महीने में सिर्फ दिल्ली में ही मलेरिया के 264 केस दर्ज किए गए हैं, जो पिछले चार सालों में सबसे ज्यादा हैं.

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