आचार्य प्रमोद कृष्णम ने की PM मोदी की तारीफ, जानिए क्‍या कहा ?

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम (Acharya Pramod Krishnam) ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के कार्यकाल के 11 साल पूरे होने पर उनकी तारीफ की. उन्होंने कहा, पीएम मोदी का कार्यकाल सनातन के स्वर्णकाल के रूप में याद किया जाएगा. समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “भारत में पंडित नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक कई प्रधानमंत्री हुए हैं. सभी ने अपने-अपने तरीके से देश की सेवा की है। लेकिन नरेंद्र मोदी का यह कार्यकाल सनातन के स्वर्णकाल के रूप में याद किया जाएगा। यह भारत का रामराज्य काल है.”

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने विपक्ष को लिया आड़े हाथ

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चल रही राजनीतिक बयानबाजी पर विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “जो लोग सिंदूर की शक्ति का सम्मान नहीं करते, वे भारत का सम्मान क्या करेंगे. विपक्षी नेता मानसिक दिवालियापन का शिकार हो गए हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें सद्बुद्धि मिले.”

चिराग पासवान एक हुनरमंद नेता हैं- प्रमोद कृष्णम

प्रमोद कृष्णम ने लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं हाजीपुर सांसद चिराग पासवान के चुनावी यात्रा शुरू करने पर कहा, “चिराग पासवान एक हुनरमंद नेता हैं, उनका भविष्य उज्ज्वल है. उनके पिताजी बड़े जननायक रहे हैं. आज चिराग पासवान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े होकर राष्ट्र की एकता और विकास के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं. बिहार के विकास में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं.”

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने 11 लोगों की मौत पर व्यक्त किया शोक

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ में हुई 11 लोगों की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “इस प्रकार की दुखद घटनाओं पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए. यह मानवीय संवेदना का विषय है्”

राहुल गांधी चुनाव आयोग का क्या सम्मान करेंगे- प्रमोद कृष्णम

प्रमोद कृष्णम ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर उठाए सवाल को लेकर कहा, “राहुल गांधी चुनाव आयोग का क्या सम्मान करेंगे, जब वह अपने बुजुर्गों और पूर्वजों का ही सम्मान नहीं करते. जो व्यक्ति अपने पूर्वजों का सम्मान नहीं करता, वह संवैधानिक संस्थानों का सम्मान कैसे करेगा.”

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