भारत ने तैयार किया अपना सुदर्शन चक्र, दुश्मनों के क्षेत्र में 2500KM रेंज, 150KM ऊंचाई तक…

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Air Defence Weapon System : वर्तमान समय में भारत ने ओडिशा तट से एकीकृत हवाई रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. प्राप्‍त जानकारी के अनुसार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उड़ान परीक्षणों के लिए IADWS को विकसित करने वालों, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और सशस्त्र बलों को बधाई दी. ऐसे में स्वदेशी हवाई रक्षा प्रणाली का देर रात साढ़े 12 बजे ओडिशा तट से उड़ान परीक्षण किया गया.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुआ उड़ान परीक्षण

जानकारी देते हुए बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के साढ़े तीन महीने बाद नई हवाई रक्षा प्रणाली का उड़ान परीक्षण हुआ है. बता दें कि IADWS एक बहुस्तरीय हवाई रक्षा प्रणाली है जिसमें त्वरित प्रतिक्रिया वाली सतह से हवा में मार करने वाली सभी स्वदेशी मिसाइल उच्च शक्ति ऊर्जा हथियार (DEW) प्रणाली शामिल हैं.

DRDO और भारतीय सशस्‍त्र को दी बधाई

इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘मैं IADWS को सफलतापूर्वक विकसित करने के लिए डीआरडीओ और भारतीय सशस्त्र बलों को बधाई देता हूं. हमारे देश की बढ़ती प्रगति और तकनीकी ने इस उड़ान परीक्षण को बहुस्तरीय हवाई रक्षा क्षमता को स्थापित किया है. इसके साथ ही यह रक्षा प्रणाली को यह और दुश्‍मनों के खिलाफ लड़ने में सक्षम बनाएगी.

सुदर्शन चक्र की खासियत

जानकारी के मुताबिक, भारत का सुदर्शन चक्र अपनी तकनीकी क्षमताओं के कारण बेहद खास है. अन्‍य मिसाइलों के मुकाबले यह सिस्टम दुश्मनों के क्षेत्र को 2500 किलोमीटर तक की रेंज की रफ्तार से खत्‍म करने में सक्षम होगा. इतना ही बल्कि 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक हवा में किसी भी मिसाइल को इंटरसेप्ट कर सकेगा. बता दें कि इस मिसाइल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और लेजर-गाइडेड सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसके माध्‍यम से काफी सटीक निशाना साधता है.

 मिसाइल को बनाने का मकसद

भारत का यह नया सुदर्शन चक्र 5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से मिसाइल दाग सकता है और इसकी संरचना स्पेस-बेस्ड हाइब्रिड सिस्टम पर आधारित है, बता दें कि इसमें सैटेलाइट और रडार नेटवर्क दोनों शामिल हैं. डीआरडीओ का इस चक्र को बनाने का मुख्‍य मकसद दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और हाइपरसोनिक हथियारों को निष्क्रिय करना है. जानकारी देते हुए बता दें कि 2026 तक सरकार ने इसे पूरी तरह से तैनात करने का लक्ष्य रखा है. वहीं अगर इसकी लागत की बात करें तो करीब 50,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है.

तकनीकी मानकों का सफलतापूर्ण किया टेस्‍ट

प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत ने इसी हफ्ते अपनी अत्याधुनिक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि-5’ का सफल परीक्षण किया है. भारत देश की यह उपलब्धि मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में बड़ी सफलता मानी जा रही है. बता दें कि ओडिशा में इसका परीक्षण इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज, चांदीपुर से किया गया. इस मामले को लेकर रक्षा मंत्रालय का कहना है कि मिसाइल ने सभी संचालनात्मक और तकनीकी मानकों को सफलतापूर्वक पूरा किया.

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