महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती आज, PM मोदी ने अर्पित की श्रद्धांजलि

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर आज उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. सोशल मीडिया मंच ‘एक्‍स’ पर एक पोस्ट में पीएम मोदी ने कहा, ‘लोकमान्य तिलक को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि. उन्हें भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में हमेशा एक महान व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा. वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने राष्ट्रवाद की भावना को प्रज्वलित करने के लिए अथक प्रयास किया और साथ ही शिक्षा व सेवा पर जोर दिया.’

पीएम मोदी ने भाषण का लिंक भी किया शेयर

पीएम मोदी ने पिछले साल पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम का भाषण वीडियो लिंक भी शेयर किया. इस कार्यक्रम में उन्हें लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

कौन थे बाल गंगाधर तिलक?

बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था. उन्हें लोकमान्य के नाम से भी जाना जाता है. बाल गंगाधर तिलक को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके अमूल्य योगदान के लिए याद किया जाता है. बता दें, विद्वान, गणितज्ञ, दार्शनिक और भावुक राष्ट्रवादी बाल गंगाधर तिलक ने ब्रिटिश शासन के प्रति अपने विरोध को एक आंदोलन में बदलकर भारत की स्वतंत्रता के लिए रूपरेखा तैयार करने में मदद की. 1914 में जब इंडियन होम रूल लीग का गठन किया गया, तब वे इसके अध्यक्ष थे. उन्होंने और मोहम्मद अली जिन्ना ने 1916 में लखनऊ समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे राष्ट्रवादी आंदोलन में हिंदू-मुस्लिम सहयोग सुनिश्चित हुआ.

आजाद को बताया एक निडर नायक

प्रधानमंत्री मोदी ने एक अन्य पोस्ट में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर आजाद को भी श्रद्धांजलि अर्पित की. पीएम ने आजाद को एक ऐसा निडर नायक बताया, जो भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध था. उन्‍होंने कहा, ‘उनके आदर्श और विचार लाखों लोगों, खासकर युवाओं के दिलो-दिमाग में आज भी गूंजते रहते हैं. मध्य प्रदेश के भावरा में 1906 में जन्मे आजाद ने एक क्रांतिकारी नेटवर्क चलाया था और अंग्रेजों के हाथों कभी भी नहीं पकड़े जाने की प्रतिज्ञा ली थी.

कौन थे चंद्रशेखर आजाद?

चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को हुआ था. 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों से हुई मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हो गए थे. अंग्रेज़ों से लड़ते-लड़ते जब उनकी पिस्टल में आखिरी गोली बची, तो उन्होंने अपनी कनपटी पर रखकर ऐसे चला दिया था. चंद्रशेखर आजाद ऐसे ही क्रांतिकारी थे. जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत की फौज कभी जिंदा नहीं पकड़ सकी थी. उनके नाम से अंग्रेजी अफसर कांप जाया करते थे. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, चंद्रशेखर आज़ाद एक क्रांतिकारी थे, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले युवाओं के एक समूह का गठन और देखरेख की. आज़ाद ने बहुसंख्यकों की मृत्यु या कारावास के बाद हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन को पुनर्गठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

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