Books Banned : जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 25 किताबों के प्रकाशन और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. स्कूल में बच्चों के पढ़ाई के साथ उनके हितों को लेकर उनका कहना है कि ये किताबें झूठे विमर्श को बढ़ावा देती हैं, युवाओं को भड़काती हैं और आतंकवाद का महिमामंडन करती हैं.
जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इनमें कुछ नामचीन लेखकों जैसे मौलाना मौदादी, अरुंधति रॉय, डेविड देवदास और एजी नूरानी, विक्टोरिया स्कोफील्ड की किताबें भी शामिल हैं. इस दौरान गृह विभाग की तरफ से जारी आदेश में कहा गया कि ‘सरकार के संज्ञान में आया है कि कुछ साहित्य जम्मू-कश्मीर में झूठे विमर्शों और अलगाववाद का प्रचार करते हैं.’
आतंकवाद में शामिल होने की एक बड़ी वजह
जानकारी के मुताबिक, अपने बयान में उन्होंने कहा कि खुफिया जानकारी के आधार पर उपलब्ध साक्ष्य ‘स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं’ कि युवाओं के हिंसा और आतंकवाद में शामिल होने की एक बड़ी वजह यह साहित्य है. इसी कारण से देश में हिंसा फैलने की संभावना है. इसके साथ ही इसे ऐतिहासिक या राजनीतिक टिप्पणी के रूप में भी फैलाया जाता है और यह धीरे-धीरे युवा दिमाग पर असर डालता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, “ऐसा साहित्य भारत के खिलाफ युवाओं को गुमराह करने, आतंकवाद का महिमामंडन करने और हिंसा भड़काने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.”
इन किताबों पर लगाया प्रतिबंध
- आजादी
लेखिका: अरुंधति रॉय - कश्मीरीज फाइट फॉर फ्रीडम
लेखक: मोहम्मद यूसुफ सराफ - तारीख-ए-सियासत कश्मीर
लेखक: डॉ. आफाक - कोलोनाइजिंग कश्मीर: स्टेट-बिल्डिंग अंडर इंडियन ऑक्युपेशन
लेखक: हाफ़्सा कंजवाल - कश्मीर पॉलिटिक्स एंड प्लेबिसाइट
लेखक: डॉ. अब्दुल गनी गोक्खामी जब्बार - डू यू रिमेम्बर कुनन पोशपोरा
लेखक: एस्सर बटूल व अन्य - ह्यूमन राइट्स वायलेशन्स इन कश्मीर
लेखक: पियॉटर बालसेरोविक्ज, अघनिएश्का कुजेवस्का - अल जिहादु फ़िल इस्लाम
लेखक: मौलाना मौदूदी - इंडिपेंडेंट कश्मीर
लेखक: क्रिस्टोफर स्नेडन - द कश्मीर डिस्प्यूट: 1947–2012
लेखक: ए. जी. नूरानी - कश्मीर एंड द फ्यूचर ऑफ़ साउथ एशिया
संपादक: सुगाता बोस, आयशा जलाल - कश्मीर एट द क्रॉसरोड्स: इनसाइड ए 21st सेंचुरी कॉन्फ्लिक्ट
लेखक: सुमंत्र बोस - अ डिस्मैंटल्ड स्टेट: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ कश्मीर आफ्टर आर्टिकल 370
लेखिका: अनुराधा भसीन - रेज़िस्टिंग डिसएपीयरेंस: मिलिट्री ऑक्युपेशन एंड विमेन्स एक्टिविज़्म इन कश्मीर
लेखक: अतर ज़िया - कन्फ्रंटिंग टेररिज़्म
संपादक: मरोफ रज़ा - कश्मीर: द केस फॉर फ्रीडम
लेखक: तारिक अली, हिलाल भट, अंगना पी. चटर्जी, पंकज मिश्रा, अरुंधति रॉय - मुजाहिद की अज़ान
लेखक: इमाम हसन अल-बन्ना शहीद - यूएसए एंड कश्मीर
लेखक: डॉ. शमशाद शान - फ्रीडम इन कैप्टिविटी: नेगोशिएशन्स ऑफ बिलॉन्गिंग अलॉन्ग कश्मीरी फ्रंटियर
लेखिका: राधिका गुप्ता - रेज़िस्टिंग ऑक्युपेशन इन कश्मीर
लेखक: हेली दुशिंस्की, मोना बी. भट्ट, अतर जिया, सिंथिया महमूद - बिटवीन डेमोक्रेसी एंड नेशन: जेंडर एंड मिलिटरीजेशन इन कश्मीर
लेखक: सीमा काजी - कॉन्टेस्टेड लैंड्स
लेखक: सुमंत्र बोस - इन सर्च ऑफ अ फ्यूचर: द स्टोरी ऑफ कश्मीर
लेखक: डेविड देवदास - कश्मीर इन कॉन्फ्लिक्ट: इंडिया, पाकिस्तान एंड द अनएंडिंग वॉर
- लॉ एंड कॉन्फ्लिक्ट रेज़ोल्यूशन इन कश्मीर
लेखक: पियॉटर बालसेरोविक्ज, अघनिएश्का कुजेवस्का
सरकार ने दिया ये निर्देश
इस मामले को लेकर गृह विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों को इस सभी किताबों को बाजार से हटाने के और किसी भी रूप में दोबारा प्रकाशित न करने का निर्देश दिया गया. देश में सरकार का यह फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है. जहां एक तरफ इसे युवाओं को गुमराह होने से बचाने की कोशिश बताया जा रहा है, वहीं कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल के रूप में देख रहे हैं.
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