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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
CJI BR Gavai Speech: भारत को अंतरराष्ट्रीय आर्बिट्रेशन का केंद्र बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने गुरुवार को दिल्ली आर्बिट्रेशन वीकेंड 3.0 का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि न्यायपालिका और संस्थानों की भूमिका बेहद अहम है और भारत अब उस मुकाम पर खड़ा है जहां से वह वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान मजबूत कर सकता है.
गवई ने दुनिया भर से आए जजों, वकीलों और आर्बिट्रेशन विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए कहा कि यह आयोजन अपनी तरह का अनोखा है, क्योंकि इसमें न्यायाधीश खुद वकीलों को संवाद और विमर्श के लिए बुलाते हैं. उन्होंने कहा, “दिल्ली आर्बिट्रेशन वीकेंड एक ऐसा दुर्लभ मंच है जहां जज वकीलों को बुलाकर बातचीत करते हैं, न कि चर्चा को सीमित करते हैं.’
विवाद समाधान की पुरानी परंपरा
CJI ने अपने संबोधन में आर्बिट्रेशन के इतिहास पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि तीसरे पक्ष के जरिए विवाद सुलझाने की परंपरा सदियों से मौजूद रही है—भारत के गांवों की पंचायतों से लेकर यूरोप के मीडिवल गिल्ड्स तक. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद न्यूयॉर्क कन्वेंशन (1958) और UNCITRAL मॉडल लॉ (1985) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत और एकरूप ढांचा तैयार किया. गवई ने कहा कि आर्बिट्रेशन की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए अदालतों और संस्थाओं की भूमिका आज भी उतनी ही जरूरी है.
भारत में बढ़ती आर्बिट्रेशन क्षमता
न्यायमूर्ति गवई ने भारत में पिछले वर्षों में हुए बदलावों और सुधारों की ओर भी इशारा किया. उन्होंने दिल्ली इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (DIAC) का जिक्र किया, जो 2009 में स्थापित हुआ था और आज घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के विवादों को तेजी से और निष्पक्षता से सुलझाने के लिए जाना जाता है. इसके साथ ही उन्होंने आर्बिट्रेशन बार ऑफ इंडिया द्वारा गठित टास्क फोर्स का भी उल्लेख किया, जो नैतिकता, कंस्ट्रक्शन डिस्प्यूट्स, इन्वेस्टमेंट ट्रीटी, विविधता और तकनीक के इस्तेमाल जैसे अहम मुद्दों पर काम कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से मिला भरोसा
मुख्य न्यायाधीश ने हाल के कुछ अहम फैसलों का जिक्र किया—जिनमें CORE बनाम ECI SPIC SMO और गायत्री बालासामी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इन निर्णयों ने आर्बिट्रेशन अवॉर्ड्स की फाइनलिटी को मजबूत किया है और विवाद समाधान प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित की है.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायपालिका का संयम और समर्थन ही अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और कंपनियों को भारत को एक पसंदीदा आर्बिट्रेशन सीट के रूप में देखने का भरोसा देता है. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और ब्रिटेन जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां न्यायिक स्पष्टता और कम से कम दखलंदाजी से ही उनकी आर्बिट्रेशन व्यवस्था मजबूत हुई है.
MSMEs और किफायती आर्बिट्रेशन पर जोर
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि भारत आर्बिट्रेशन को और ज्यादा सुलभ, किफायती और प्रभावी बनाए. खासकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए सरल और तेज समाधान बेहद जरूरी है. उन्होंने सभी स्टेकहोल्डर्स से अपील की कि वे टकराव से ज्यादा सहयोग पर ध्यान दें, प्रक्रियाओं को आसान बनाएं और लागत कम करें.
अपने भाषण के अंत में CJI गवई ने कहा कि भारत अब एक टिपिंग प्वॉइंट पर है, जहां से वह न सिर्फ वैश्विक आर्बिट्रेशन हब के रूप में उभर सकता है बल्कि इस क्षेत्र की दिशा भी तय कर सकता है. उन्होंने कहा, “दृष्टि, विनम्रता और दृढ़ता के साथ भारत न केवल इस विमर्श में योगदान देगा बल्कि इसे सार्थक रूप से आकार भी देगा.’