Delhi High Court: 4 वर्षीय LLB कोर्स के लिए “कानूनी शिक्षा आयोग” याचिका पर सुनवाई से दिल्ली HC ने किया इनकार

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें 4 साल के LLB कोर्स की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार को एक ‘कानूनी शिक्षा आयोग’ गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

याचिका को खारिज करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने कहा यह मुद्दा न्यायालय के क्षेत्र में नहीं आता है और इस बात पर भी जोर दिया कि छात्रों को गैर-कानूनी विषयों का भी अध्ययन करना चाहिए. बता दें कि यह याचिका भाजपा नेता व वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की थी.

याचिकाकर्ता बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय से कोर्ट ने कहा, यह हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है… हम पाठ्यक्रम डिजाइन नहीं करते… आप 5 साल के कानून पाठ्यक्रम को इस तरह से खत्म नहीं कर सकते.” कोर्ट द्वारा यह कहने के बाद कि वह याचिका खारिज कर देगी, अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा, वह याचिका वापस ले लेंगे.

याचिका में कही गई थी ये बात? 

याचिका में कहा गया था कि बीटेक जैसे 4 वर्षीय बैचलर ऑफ लॉ पाठ्यक्रम की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए सेवानिवृत्त न्यायधीशों, कानून प्रोफेसरो और वकीलों को शामिल करते हुए चिकित्सा शिक्षा आयोग के समान एक एलईसी गठित करने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि नई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 202) चार साल के स्नातक पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देती है, लेकिन बीसीआई ने आज तक न तो 5 साल के BA-LLB की समीक्षा की है और न ही 4 साल के बी लॉ की शुरुआत की है.

IIT के माध्यम से बीटेक करने में 4 साल की अनावश्यक शिक्षा लगती है और वह भी इंजीनियरिंग के एक निदिष्ट क्षेत्र में, जबकि एनएलयू और विभिन्न अन्य संबद्ध कॉलेजों के माध्यम से BA-LLB या बीबीए-एलएलबी में कला का ज्ञान प्रदान करने में एक छात्र के अनमोल जीवन के 5 साल लग जाते हैं. याचिका में यह भी कहा गया है कि पांच साल के पाठ्यक्रम की वार्षिक फीस चार साल के पाठ्यक्रम की तुलना में अधिक है. याचिका में कहा गया कि पूर्व कानून मंत्री दिवंगत राम जेठमलानी ने 17 साल की उम्र में और दिग्गज दिवंगत वकील फली नरीमन ने 21 साल की उम्र में वकालत शुरू की थी.

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