Delhi: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि भोजन, वस्त्र और आवास की तरह शिक्षा भी व्यक्ति के सम्मान और सुरक्षा के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा कि संवेदनशील शिक्षक बच्चों में सम्मान और सुरक्षा की भावना विकसित करने का काम करते हैं. राष्ट्रपति मुर्मू शुक्रवार को ‘शिक्षक दिवस’ के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रही थी. संबोधन से पहले उन्होनें देश भर के शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए.
देश के भविष्य के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने शिक्षकों की भूमिका को देश के भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण बताया और भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने का आह्वान किया. उन्होंने अपने शिक्षक के रूप में बिताए समय को भी याद करते हुए उसे सांझा किया. कहा कि वह मेरे जीवन का सबसे सार्थक दौर था. राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि शिक्षा व्यक्ति को सक्षम बनाती है. सबसे गरीब पृष्ठभूमि के बच्चे भी शिक्षा की शक्ति से प्रगति की ऊंचाइयों को छू सकते हैं. स्नेहपूर्ण और समर्पित शिक्षक बच्चों की उड़ान को ताकत देने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का भी किया उल्लेख
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार यह है कि उनके छात्र जीवन भर उन्हें याद रखते हैं और परिवार, समाज व देश के लिए उल्लेखनीय योगदान देते हैं. राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का भी उल्लेख किया. कहा कि यह नीति कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के विस्तार और वंचित वर्ग की लड़कियों के लिए विशेष शैक्षिक सुविधाओं पर जोर देती है. हालांकि, शिक्षा से संबंधित किसी भी पहल की सफलता मुख्य रूप से शिक्षकों पर निर्भर करती है.
शिक्षक विशेष रूप से खासकर लड़कियों पर ध्यान दें
राष्ट्रपति ने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे विशेष रूप से उन छात्रों, खासकर लड़कियों पर ध्यान दें जो शर्मीली हैं या कम विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि से आती हैं. राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है. इसके लिए हमारे शिक्षकों को विश्व के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए. स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा और कौशल शिक्षा…इन तीनों क्षेत्रों में हमारे संस्थानों और शिक्षकों को सक्रिय योगदान देना होगा. शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगा.
छात्रों के चरित्र निर्माण में शिक्षक की प्राथमिक जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि छात्रों के चरित्र निर्माण में शिक्षक की प्राथमिक जिम्मेदारी है. संवेदनशील, जिम्मेदार और नैतिक आचरण वाले छात्र उन छात्रों से बेहतर हैं जो केवल प्रतिस्पर्धा, किताबी ज्ञान और स्वार्थ में रुचि रखते हैं. एक अच्छे शिक्षक में भावनाओं और बुद्धि दोनों का समन्वय होता है जो छात्रों पर गहरा प्रभाव डालता है.
इसे भी पढ़ें. भारत में मौतों का सबसे बड़ा कारण बना ‘heart attack’..पढ़ें ‘SRS’ की नई रिपोर्ट और जानें आंकड़े..?’