Kolkata: बंगाल में 400 बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान हुई है. जानकारी मिली है कि इन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय पासपोर्ट बनवाए थे. बंगाल में फर्जी पासपोर्ट गिरोह की ED की जांच में इसका खुलासा हुआ है. इस रैकेट में पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक और उसके सहयोगी इंदु भूषण शामिल थे, जो हवाला लेनदेन और फर्जी पहचान पत्र बनाने का काम करते थे. ED ने दो करोड़ से अधिक के लेनदेन का पर्दाफाश किया है.
अहम संचालक इंदु भूषण को किया था गिरफ्तार
ED ने कोलकाता के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से इसकी जानकारी जुटाई है. ED ने हाल में बंगाल के नदिया जिले के चकदह शहर में चल रहे फर्जी पासपोर्ट रैकेट के सिलसिले में अहम संचालक इंदु भूषण को गिरफ्तार किया था. वह पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक का भी सहयोगी था, जिसे इसी साल की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था. वह फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर भारतीय नागरिक बन गया और धीरे-धीरे उसने कोलकाता में अपने किराए के मकान से हवाला और फर्जी भारतीय पासपोर्ट रैकेट चलाना शुरू कर दिया.
इंदुभूषण हलदर के अलावा सात और लोगों के बनवाए पासपोर्ट
आजाद ने इंदुभूषण हलदर के अलावा सात और लोगों के पासपोर्ट बनवाए. ED को फर्जी पासपोर्ट मामले में दो करोड़ रुपये से ज्यादा के लेनदेन के सुराग मिले हैं. यह लेनदेन इंदुभूषण के जरिए ही किया गया था. इंदुभूषण ने एक कैफे किराए पर लेने के लिए एक लाख 15 हजार रुपए खर्च किए. उसने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके 300 से ज्यादा पासपोर्ट बनवाए. जांच के अनुसार इंदुभूषण मुख्यतया बांग्लादेशियों के लिए पासपोर्ट बनाता था. इसके लिए पहले उनका आधार और पैन कार्ड बनाया जाता था और बाद में उसका नाम मतदाता सूची में शामिल कराया जाता था.
डाकघर के कर्मचारियों के साथ होती थी मिलीभगत
फर्जी दस्तावेजों से पासपोर्ट बनाने के लिए पांच लाख रुपये लिए जाते थे. फिर फर्जी पते का इस्तेमाल पर बांग्लादेशियों का पासपोर्ट बनाया जाता था. इसके लिए फर्जी दस्तावेज दिए जाते थे. जब पासपोर्ट डाकघर पहुंचता था तो आरोपितों की डाकघर के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत होती थी और वहां से पासपोर्ट ले लिया जाता था. फर्जी दस्तावेजों से पासपोर्ट बनाने के लिए पांच लाख रुपये लिए जाते थे.
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