भारत-नेपाल ज्यूडिशियल डायलॉग 2025: CJI B. R. गवई का नेपाल दौरा, दोनों देशों में न्यायिक संबंध मजबूत करने पर दिया जोर

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई (CJI B R Gavai) ने नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित नेपाल-भारत ज्यूडिशियल डायलॉग 2025 में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल की न्यायपालिका के बीच लंबे समय से मजबूत रिश्ता रहा है. अप्रैल 2025 में दोनों देशों के सुप्रीम कोर्ट ने एक MOU साइन कर इस सहयोग को और गहरा किया. इस संवाद का मुख्य विषय था- “न्यायपालिका की बदलती भूमिका: न्यायशास्त्रीय विकास और भारतीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए सुधार”.

लोकतंत्र, समानता और गरिमा: न्यायपालिका की भूमिका

CJI ने कहा कि अदालतें केवल विवाद सुलझाने का मंच नहीं हैं, बल्कि लोकतंत्र, समानता और मानव गरिमा की रक्षा करने वाली संस्थाएं हैं. उन्होंने नेपाल सुप्रीम कोर्ट के जेंडर जस्टिस, प्राइवेसी और पर्यावरणीय अधिकारों पर दिए गए ऐतिहासिक फैसलों की सराहना की. गवई ने कहा कि भारत और नेपाल की न्यायपालिका एक-दूसरे से सीखकर लोकतंत्र और न्याय को और मजबूत बना सकती है.

संवैधानिक न्याय: भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले

CJI बी. आर. गवई ने 1973 के केशवानंद भारती केस का जिक्र करते हुए कहा कि यह अवधारणा भारतीय संवैधानिक न्यायशास्त्र की रीढ़ बन चुकी है. उन्होंने शिक्षा, निजता, गरिमा के साथ जीवन, मृत्यु, विवाह और प्रजनन अधिकारों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मान्यता देने की बात कही. साथ ही, उन्होंने आरक्षण के लाभ को सबसे वंचित तबकों तक पहुंचाने और क्रीमी लेयर को इससे बाहर करने की आवश्यकता पर जोर दिया. गवई ने महिलाओं के अधिकारों, विकलांगों के लिए डिजिटल एक्सेस को मौलिक अधिकार बताते हुए हाल के फैसलों का उल्लेख किया. उन्होंने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ मौलिक अधिकारों को मान्यता देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी प्रकाश डाला.

इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक ठहराना

चुनावी सुधारों पर बोलते हुए CJI बी. आर. गवई ने याद दिलाया कि 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक ठहराया था, जो पारदर्शिता और लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था.

भारत-नेपाल न्यायपालिका के बीच सहयोग बढ़ाना

CJI बी. आर. गवई ने नेपाल के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह राउत और नेपाल सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीशों की उपस्थिति में भविष्य में दोनों देशों की न्यायपालिका के बीच सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई.

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