नेहरू पेपर्स विवाद: दस्तावेज ‘लापता’ नहीं, सोनिया गांधी के पास, केंद्र सरकार ने वापस लौटाने की मांग

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Jawaharlal Nehru Papers controversy: देश पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निजी पत्रों और दस्तावेजों को लेकर केंद्र सरकार और कांग्रेस के बीच एक बार फिर से राजनीतिक खींचतान तेज हो गई है. इसी बीच संस्कृति मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि नेहरू के पत्र ‘लापता’ नहीं हैं, बल्कि वे सोनिया गांधी के पास सुरक्षित हैं. सरकार ने अब इन दस्तावेजों को “राष्ट्र की विरासत” बताते हुए इन्हें वापस लौटाने की मांग की है.

दरअसल, यह विवाद तब शुरू हुआ जब भाजपा सांसद संबित पात्रा ने संसद में सवाल किया कि क्‍या प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) से नेहरू के पत्र गायब हैं? इसके जवाब में केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लिखित में कहा, “देश के पहले प्रधानमंत्री से संबंधित कोई भी दस्तावेज PMML से लापता नहीं है.” इसके बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार पहले गुमशुदगी की अफवाहें फैला रही थी. साथ ही उन्‍होंने मांफी की भी मांग की.

2008 में लिए गए थे दस्तावेज

इसी बीच, संस्कृति मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स पोस्ट के जरिए पूरी स्थिति को स्‍पष्‍ट किया. मंत्रालय के मुताबिक, सोनिया गांधी की इच्छा थी. 29 अप्रैल 2008 को सोनिया गांधी के प्रतिनिधि एम.वी. राजन ने एक पत्र लिखकर नेहरू के निजी पारिवारिक पत्रों और नोट्स को वापस लेने की इच्छा जताई थी.

सरकार ने बताया कि PMML इन पत्रों की वापसी के लिए सोनिया गांधी के कार्यालय के साथ लगातार संपर्क में है. इस साल 28 जनवरी और 3 जुलाई को भी उन्हें पत्र लिखकर दस्तावेज लौटाने का अनुरोध किया गया है.

“निजी संपत्ति नहीं, राष्ट्रीय धरोहर हैं ये पत्र”

इस दौरान, सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि चूंकि इन दस्तावेजों का ठिकाना मालूम है, इसलिए इन्हें ‘लापता’ नहीं कहा जा सकता. “जवाहरलाल नेहरू से संबंधित ये दस्तावेज राष्ट्र की ‘दस्तावेजी विरासत’ का हिस्सा हैं, न कि किसी की निजी संपत्ति. शोधकर्ताओं और नागरिकों के लिए इन पत्रों का PMML की कस्टडी में होना और उन तक पहुंच होना बेहद महत्वपूर्ण है.”

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