Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो चुकी है, जो उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन का बतौर राज्यसभा सभापति ये पहला सत्र है. ऐसे में सत्र की शुरुआत उनके सम्मान में स्वागत भाषण के साथ हुई. इस दौरान सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीपी राधाकृष्णन को लेकर संसद में अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि कैसे सभापति ब्लास्ट में बाल-बाल बचे थे और कैसे वो शाकाहारी बने.
पीएम मोदी ने कहा कि महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा, महत्वपूर्ण निर्णय और उसमें आपका मार्गदर्शन…ये हम सबके लिए बड़ा अवसर है. मैं सदन की तरफ से आपको बहुत बधाई देता हूं. आपका अभिनंदन करता हूं. आपको शुभकामनाएं देता हूं. मैं विश्वास भी देता है कि सदन के सभी सदस्य उच्च सदन की गरिमा को बनाए रखते हुए आपकी गरिमा की भी चिंता करेंगे. मर्यादा रखेंगे.
‘पूरे जीवन की समाजसेवा’
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे सभापति सामान्य परिवार से आते हैं. किसान परिवार से हैं. पूरा जीवन समाजसेवा के लिए समर्पित किया है. राजनीति क्षेत्र उसका एक पहलू रहा है. समाज के प्रति समर्पित होकर इन्होंने काम किया है. ये हम सबके लिए एक प्रेरणा है. आपका यहां तक पहुंचना भारत के लिए लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ी ताकत है.
पीएम मोदी ने की उपराष्ट्रपति के जिम्मेदारियों का जिक्र
उन्होने कहा कि ये मेरा सौभाग्य की बात रही है कि मैं आपको लंबे समय से जान रहा हूं. इसके अलावा, आपके साथ काम करने का अवसर मिला है. लेकिन पीएम के रूप में जब मुझे जिम्मेदारी मिली और जब मैंने आपको अलग-अलग जिम्मेदारियों के साथ काम करते देखा उससे सकारात्मक भाव जगना स्वाभाविक था. आप कई राज्यों में राज्यपाल रहे. आपने कई जिम्मेदारियां संभाली. झारखंड में आपने जिस प्रकार से वहां के लोगों से नाता बना लिया था, वहां के सीएम इन बातों का जिक्र करते थे.
पीएम मोदी ने कहा कि मैंने आपको कार्यकर्ता के रूप में देखा, सहयोगी के रूप, सांसद के रूप में देखा है, लेकिन मैंने एक बात महसूस की आपका और प्रोटोकाल का कोई नाता नहीं रहा है. ये हमारे लिए गर्व का विषय रहा है. आपने हमेशा से जरूरतमंदों की चिंता की.
‘ब्लास्ट में बाल-बाल बचे थे उपराष्ट्रपति’
इसके अलावा, पीएम मोदी ने कोयंबटूर ब्लास्ट का जिक्र करते हुए कहा कि लाल कृष्ण आडवाणी की कोयंबटूर में यात्रा होने वाली थी. उससे पहले वहां पर एक ब्लास्ट हुआ था. उसमें आप (सीपी राधाकृष्णन) बाल-बाल बचे थे. आपके ऊपर ईश्वरीय शक्ति है. इसके बाद आप उपराष्ट्रपति बनने के बाद वाराणसी गए थे. आपने वहां एक बात बताई, जो मेरे लिए नई थी. आपने वहां कहा कि आप नॉनवेज के आदि थे. लेकिन जब पहली बार आप काशी गए थे पता नहीं कहां से आपमें एक संकल्प जगा और आपने कहा कि अब आप नॉनवेज नहीं खाएंगे. आपके मन में काशी की धरती पर ये विचार आया, जो बतौर सांसद मेरे लिए याद करने वाली चीज है.
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