PM Modi 75th Birthday: वडनगर के चाय स्टॉल से विश्व मंच तक का अद्भुत सफर

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
  1. PM Modi 75th Birthday: 17 सितम्बर 2025 को भारत अपने 21वीं सदी के सबसे प्रभावशाली नेता-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन मना रहा है। 1950 में गुजरात के वडनगर में जन्मे मोदी की जीवन यात्रा एक छोटे कस्बे के चाय विक्रेता से लेकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के शीर्ष नेतृत्व तक पहुँचना वास्तव में अद्भुत और प्रेरणादायक है।
यह दिन केवल उनका व्यक्तिगत पड़ाव नहीं, बल्कि 25 वर्षों के सतत और निर्णायक शासन का प्रतीक भी है। पहले गुजरात के मुख्यमंत्री (2001–2014) और फिर प्रधानमंत्री (2014 से अब तक), मोदी ने राजनीति और शासन को नई दिशा दी। वे राष्ट्रवाद, ईमानदारी और सामाजिक कल्याण की प्रतिबद्धता के जीवंत प्रतीक बने।

शुरुआती जीवन और संघर्ष

किशोरावस्था से ही नरेंद्र मोदी में नेतृत्व, सेवा और दृढ़ता के गुण स्पष्ट दिखते थे। वे सार्वजनिक भाषणों में निपुण थे और हमेशा गरीबों का जीवन सुधारने के संकल्प से प्रेरित रहे। सत्ता और सफलता से अधिक उनके लिए अपने आदर्शों पर टिके रहना और संघर्ष करना महत्त्वपूर्ण था।
आपातकाल (1975–77) के दौरान मोदी भूमिगत हो गए। वे आरएसएस और जनसंघ नेताओं के बीच संदेशवाहक बने, गुप्त सूचनाएं पहुँचाईं और वेश बदलकर आंदोलनों का नेतृत्व किया। उस दौर में समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस ने भी गुजरात आकर उनसे सहयोग मांगा। संघर्ष और संकट के समय मदद के लिए आगे आना उनकी आदत थी।
उनके छोटे भाई पंकज मोदी हिंदुस्तान समाचार से जुड़े थे। वहीं से यह भी ज्ञात होता है कि नरेंद्र मोदी बचपन से ही लेखन और सामाजिक सेवा के प्रति झुकाव रखते थे। उनके लेख और कविताएं साधना पत्रिका में प्रकाशित होती थीं। बाद में उन्होंने अपने अनुभवों और विचारों पर कई पुस्तकें भी लिखीं।
पत्रकारिता के प्रति सम्मान उनके जीवन का हिस्सा रहा। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री रहते हुए भी उन्होंने आलोचनात्मक समाचारों के बावजूद कभी प्रतिशोधात्मक कार्रवाई नहीं की। उनका तरीका सदा यही रहा—पूर्वाग्रहों से दूरी और जनता से सीधा संवाद।

नेतृत्व और नर्मदा से जुड़ाव

नरेंद्र मोदी का हिमालय से विशेष लगाव है, लेकिन नर्मदा नदी से उनका आत्मीय संबंध और भी गहरा है। लेखन से जुड़े मेरे अनुभवों में, जब मैंने नर्मदा पर पुस्तक लिखी, तो मोदीजी ने व्यस्तता के बावजूद पांडुलिपि पढ़कर भूमिका लिखी। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनकी पुस्तकों और अध्ययन में रुचि कम नहीं हुई। विदेशी राष्ट्राध्यक्ष अक्सर उन्हें दुर्लभ किताबें भेंट करते हैं।

गुजरात से राष्ट्रीय नेतृत्व तक

2001 में जब मोदी मुख्यमंत्री बने, गुजरात भूकंप की त्रासदी से जूझ रहा था। कई लोग संदेह करते थे कि वे इस संकट को संभाल पाएंगे। लेकिन कुछ ही वर्षों में गुजरात आदर्श राज्य बनकर उभरा।
  • ज्योति ग्राम योजना ने गांवों को 24 घंटे बिजली दी।
  • जल प्रबंधन ने सूखा-ग्रस्त इलाकों की कृषि को नया जीवन दिया।
  • वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन ने राज्य को निवेश का वैश्विक केंद्र बना दिया।
इन्हीं प्रयासों से “गुजरात मॉडल” विकसित हुआ जिसने मोदी को राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित किया।

निर्णायक और दूरदर्शी प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने भारत की रणनीतिक और सांस्कृतिक पहचान को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
  • धारा 370 का हटना
  • सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक
  • आतंकवाद के खिलाफ सशक्त कार्रवाई
  • काशी विश्वनाथ धाम का पुनर्निर्माण
  • अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का नेतृत्व
इन सभी ने उन्हें दृढ़निश्चयी और दूरदर्शी नेता के रूप में स्थापित किया।

सादगी और जनता से जुड़ाव

सत्ता के शिखर पर पहुँचने के बावजूद मोदी की पहचान उनकी व्यक्तिगत सादगी से बनी हुई है।
  • वे परिवारवाद से दूर रहते हैं।
  • योगाभ्यास और अनुशासित जीवन शैली का पालन करते हैं।
  • लंबे समय तक काम करने और जनता से सीधे संवाद करने में विश्वास रखते हैं।
मन की बात, सोशल मीडिया और विशाल जनसभाओं के जरिए वे करोड़ों भारतीयों से जुड़े रहते हैं।

भविष्य की दृष्टि

2024 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने 2029 में चौथी बार चुनाव लड़ने का संकेत भी दिया है। उनका लक्ष्य है 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना।

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